गांव में रावण दहन कार्यक्रम के लिए किसने उपलब्ध कराई बड़ी राशि?
रावण दहन कार्यक्रम के पूर्व दारू और मुर्गा की व्यवस्था किसने कराई?
रजरप्पा(रामगढ़)। झारखंड के रामगढ़ जिला के रजरप्पा थाना क्षेत्र के बड़कीपोना गांव के केतारी गांव में 16 अक्टूबर की देर शाम को रावण दहन के दौरान पुलिस और ग्रामीणों में हिंसक झड़प हुई थी। जिसके बाद से अब तक गांव में पुलिस काफी सक्रिय और सख्त नजर आई है। लेकिन एक तरफ ग्रामीणों को दोषी माना जा रहा है तो दूसरी तरफ पुलिस भी इससे कम दोषी नहीं नजर आ रही है। पूरे घटनाक्रम में गांव के लोग दबे जुबान से ही लेकिन कई अहम प्रश्न कर रहे हैं। गांव के लोगों का कहना है कि रावण दहन कार्यक्रम के दौरान पुलिस अधिकारी पहुंच कर गाली गलौज करने लगे थे। जिससे कि विवाद बढ़ा। रावण दहन कार्यक्रम के पूर्व गांव एवं आसपास के क्षेत्र के युवकों को दारू और मुर्गा खिलाया और पिलाया गया था। ऐसी भी यह क्षेत्र अवैध दारू बेचने के लिए चर्चित रहा है। रजरप्पा पुलिस को कैसे पता नहीं चला कि गांव में रावण बना कर उसको दहन कार्यक्रम किया जाएगा। अगर पुलिस को इस बात की भनक थी तो पुलिस ने पहले ही क्यों नहीं रावण का पुतला हटवा दिया। हालांकि रावण दहन कार्यक्रम के लिए आयोजक मंडली दोषी है।क्योंकि पूर्व में ही जिला के पुलिस अधीक्षक ने रावण दहन कार्यक्रम नहीं करने की सख्त आदेश जारी की थी। घटना के 3 दिनों के बाद पुलिसिया कार्रवाई में एक 70 वर्षीय महिला की मौत ने पूरे झारखंड में गांव को चर्चा के बीच ला दिया। जिसके बाद कई राजनीतिक दलों के बड़े नेता और जनप्रतिनिधि पहुंचने लगे। यहां बड़ी-बड़ी बातें और भाषण बाजी होने लगी। महिला की मौत के बाद झारखंड संदेश की टीम भी गांव गई थी। इस दौरान देखा गया कि यहां राजनीतिक दल के नेता और जनप्रतिनिधि जमकर राजनीति कर रहे हैं। वही गांव के कुछ लोगों ने इस तमाशे पर दबी जुबान कुछ कहा भी।
कुछ ग्रामीणों ने कहा कि जब पुलिस प्रशासन ने सख्त आदेश जारी किया था कि रावण नहीं जलाना है।फिर गांव में कैसे रावण जलाने का प्रोग्राम बना? गांव में रावण का पुतला और होने वाले खर्च को किसने उपलब्ध करवाया है? सबसे बड़ी बात कि कार्यक्रम के पूर्व यूवको को मुर्गा और शराब कहां से उपलब्ध कराई गई। कौन वे लोग हैं जो इस कार्यक्रम को पर्दा के पीछे से समर्थन कर रहे थे। किसने कार्यक्रम के लिए मोटी राशि उपलब्ध कराई? ग्रामीण सबसे ज्यादा परेशान तो इस बात को लेकर है कि निर्दोष लोगों को इस पूरे मामले में फंसा दिया गया है। जबकि इस पूरे प्रकरण के पीछे रहे लोगों पर प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गई है। आज वैसे लोग ही पुलिस प्रशासन की दलाली कर रहे हैं। लोगों ने दबी जुबान से ही सही लेकिन कुछ हिम्मत जुटाकर कुछ हम बातें भी बताया।
लोगों की बात समझे तो यह पूरा मामला एक राजनीतिक दल के कुछ नेताओं के इर्द-गिर्द घूमता नजर आ रहा है। रावण दहन के लिए राशि कहां से कौन उपलब्ध कराया है? किसने दारू और मुर्गा की व्यवस्था कराई थी?अगर पुलिस को यह बात पहले मालूम थी तो पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की? गांव की एक 70 वर्षीय महिला की मौत का जिम्मेदार कौन है? गांव में हुई झड़प के बाद पुलिस की दरिंदगी के लिए कार्रवाई होनी चाहिए या नहीं? पुलिस इस घटना को एक साजिश के रूप में देख कर साजिश रचने वालों पर क्यों नहीं कार्रवाई कर रही है?