7 नवंबर को विस्थापितों के समर्थन में राजभवन मार्च
रांची।जल,जमीन जंगल की रक्षा एवं विस्थापन और विस्थापितों के अधिकार पर एक दिवसीय सेमिनार 23 अक्टूबर एसडीसी सभागार पुरुलिया रोड रांची में,लखन लाल महतो जेराम जोराल्ड कुजूर मिथलेश दांगी, लष्मी की अध्यक्षता में सेमिनार शुरू हुआ।सेमिनार की शुरुआत में प्रतिबेदान प्रस्तुत करते हुए भुबनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि आप सभी जानते हैं कि झारखंड वासी विस्थापन से तबाह है यहां की जमीन का ओने पौने दाम है जबरन अधिग्रहण होता रहा है जिसमें अधिकतर जमीने आदिवासी दलित और गरीब किसानों की है अभी तक हनुमानता लगभग 5000000 लोग विस्थापित हो चुके हैं और विस्थापित सभी प्रभावित लोगों की संख्या लगभग एक करोड़ है सरकारी और निजीकंपनियों दोनों से यहां विस्थापन हुआ है सबसे अधिक विस्थापन कोल इंडिया लिमिटेड सीसीएल बीसीसीएल एचईसी डिस्को टेल्को जिंदल पावर लिमिटेड अदानी पावर लिमिटेड एवं अन्य उद्योग एवं सिंचाई परियोजनाओं से विस्थापन हुआ है.
विस्थापन का दंश सबसे अधिक कोयला उद्योग में आदिवासियों को हुआ है देश के चार सात वर्ष तक भूमि अधिग्रहण कानून नहीं बना सन 1994 में जब देश गुलाम था उसी समय अंग्रेजों ने अपने स्वार्थ के लिए भूमि अधिग्रहण कानून बनाया था उसे कानून के तहत थोड़ा-बहुत संशोधन कर दो हजार तेरह तक जमीन का अधिग्रहण होता रहा अंग्रेजों द्वारा बनाए गए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ बराबर आंदोलन होता रहा है यूपीए-2 की सरकार ने भूमि अधिकरण का एक मसौदा 2011 में पेश किया एवं इस मसौदे पर सभी दल एवं अन्य लोगों से सुझाव मांगे गए बड़े पैमाने पर सुझाव दिए गए जिस पर लोक सभा के स्थाई समिति ने गहन विचार विमर्श कर राज्यसभा में पेश किया गया यूपीए के अलावा सभी दल के लोगों ने सर्वसम्मति से उसे पारित किया असली बात यह है कि भाजपा के सांसदों ने इस विधेयक बात करने में अहम भूमिका अदा की थी उसी भाजपा ने केंद्र में सत्ता में आने का आने बाद सर मायादार पूंजीपतियों और उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से 21 दिसंबर 2014 को इस विधेयक में संशोधन लाया जो 2013 के विधायक में जो भैया को एवं किसानों को जो सुविधा मिली थी उसे समाप्त कर दिया गया इस काला अध्यादेश के खिलाफ 1-1 कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल एवं सामाजिक संगठन आंदोलन हेतु सड़कों पर उतर आए 4 मई 2015 को झारखंड में ऐतिहासिक बंधी हुई इसमें किसानों के आंदोलन के सामने नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को झुकना पड़ा अब देश में भूमि अधिग्रहण कानून लागू है फिर भी केंद्र और राज्य की सरकार जैसे तैसे औने पौने दाम में प्रयत्नों को जमीन को अधिग्रहण कर रही है सरकार के पदाधिकारी खुलेआम कंपनी और उद्योग पतियों को मदद कर रहे हैं जिससे झारखंड में किसान गरीब औरतों की जमीन में लूट हो रही है इस मामले में सरकारी उपक्रम भी पीछे नहीं है उदाहरण स्वरूप एनटीपीसी हजारीबाग बड़कागांव में चतरा के टंडवा में हजारों एकड़ जमीन को अधिग्रहण किया है उसमें सन 2013 के कानून के मुताबिक रायपुर एवं किसानों से रायशुमारी नहीं की गई जिनके की जमीन का अधिग्रहण होना था भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत 80% लोगों की सहमति होनी चाहिए थी एनटीपीसी में भूमि अधिग्रहण में भी एनटीपीसी द्वारा मुआवजा देने में काम काफी भेदभाव होता रहा है हजारीबाग के कुल ब्लॉक में 2000000 रुपए प्रति एकड़ भुगतान किया गया वहीं चतरा जिले के तांडवा में नार्थ का करंट पूरा थर्मल पावर स्टेशन में 1500000 रुपए कर दिया गया जिसके विरूद्ध वहां के किसान गरीब आंख करीब 8 महीने से धरना पर है और आंदोलन कर रहे हैं विभिन्न सरकारी उपक्रम विवाह निजी कंपनियों द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का उल्लंघन कर उपजाऊ जमीन का भी अधिग्रहण किया जा रहा हजारीबाग जिला के बड़कागांव कचहरी में एनटीपीसी जिंदल पावर लिमिटेड अदानी हिंडालको एवं जिले अदानी पावर लिमिटेड द्वारा 80% जमीन का अधिग्रहण किया गया, जमीन का कीमत ₹1 प्रति एकड़ होना चाहिए उसे मात्र 13 लाख रूपेण में रघुवर दास के मुख्यमंत्री काल में सरकार द्वारा वितरण कर दिया डाली को दिया गया जब प्रदीप यादव व अन्य लोगों के नेतृत्व में आंदोलन शुरू हुआ तो दर्जनों झूठे केस में फसाया गया और प्रकाश प्रशासन द्वारा नंगा नाच किया गया और जब जब से अदानी पावर लिमिटेड का निर्माण कराया करवाया गया अदानी पावर लिमिटेड से पावर ना झारखंड नरेश को मिलेगा इससे बांग्लादेश को आपूर्ति की जाएगी हजारीबाग बड़कागांव एनटीपीसी के खिलाफ किसानों ने लगातार आंदोलन शुरू किया किसान आंदोलन कार्यों पर दर्जनों किए गए जेल भेजा गया और उस समय के विदाई का शांतिपूर्ण धरना पर बैठी हुई थी 4:00 बजे सुबह गिरफ्तार कर ले जाने लगा रास्ते में किसानों ने रोका तो पुलिस ने गोली चलाई जिसमें चार लोगों की मौत हो गई तमाम विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ आंदोलन चलाया और रामगढ़ जिले के भैरव जलाशय योजना में किसानों ने मुआवजा मिलाना नौकरी नाही विस्थापितों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई किसानों ने आंदोलन शुरू किया उस आंदोलन में पुलिस की गोली से राम लखन महतो एवं दशरथ नायक की पुलिस की गोली से मौत हो गई घटना में भाजपा की सरकार द्वारा और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समय देती है फुल इंडिया में भी आज भी हजारों की संख्या में किसान किसान हैं जिनकी जमीन से कोयला निकाला जा रहा है अनसुना ही जमीन का मुआवजा मिला ना ही नौकरी सीसीएल के ढोढ़ी में हजारों एकड़ जमीन से सीसीएल कोयला निकाल रही है इसमें यह दलील दी जा रही है कि राजा रामगढ़ सुनो सुनो 9 साल की लीज पर लिया है जो असंभव है एचईसी द्वारा गरीब आदिवासियों की ली गई जमीन पूरी सूची बेच रही है और जमीन पर जो बसे हुए हैं उसे हटाने के लिए तरह-तरह के जॉब कर रही है बोकारो स्टील सिटी जबरदस्ती किया गया आदिवासी परिवार कहां चले गए इसका पता नहीं मामू प्रमंडल में भी उद्योगपति गरीबों की जमीन गैरमौजरूआ एवं उनकी जमीन पर बिना दर्द है कि खुलेआम चर्चा कर रहे हैं प्रशासन मदद कर रही है जानकारों जिले के चंदनकियारी में 800 एकड़ जंगल एवं 4 एकड़ जमीन पर गिरा बंदी इलेक्ट्रोस्टील द्वारा किया गया जिसकी जांच भी हुई लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई झारखंड सरकार बनने के बाद यहां के वासियों की उम्मीद थी वह पूरा नहीं हुआ पूर्व की सरकारों ने विस्थापन आयोग का गठन नहीं किया वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी ने चुनाव के वक्त वादा किया था चुनाव जीतने के बाद हमारी सरकार होने की सूचना आयोग का गठन किया जाएगा परंतु 2 साल बीत जाने के बाद भी आयोग का गठन नहीं हुआ आज का सेमिनार मुख्यमंत्री से मांग करती है कि राज्य में 1 महीने के अंदर विस्थापन आयोग का गठन करें जिस तरह से झारखंड के किसान आदिवासी एवं दलितों की जमीन लूटी वागरण किया जा रहा है वक्त का तकाजा है विस्थापन के खिलाफ लड़ने वाले भी संगठन सभी दल सभी राजनीतिक एवं सामाजिक संगठन एक मंच पर आएं और राज्य में पहना बड़े पैमाने पर आंदोलन की शुरुआत करें आज के इस सेमिनार में उपस्थित सभी सामाजिक संगठन एवं राज्य के सभी जिलों के से विस्थापन के खिलाफ लड़ रहे जन संगठनों से अपील है कि निम्नलिखित मुद्दों पर संघर्ष करने का संकल्प लें पहला विस्थापन आयोग का गठन किस माह में दूसरा भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 लागू हो तीसरा भूमि अधिकरण में जमीन की कीमत या मुआवजा ₹50 प्रति एकड़ था विस्थापितों प्रभावित परिवार को नौकरी और पुनर्वास की उचित व्यवस्था हो पांचवा पुनर्वास के लिए कम से कम 25 डिसमिल जमीन एवं गृह निर्माण के लिए 2500000 दिया जाए ।
सेमिनार में आगे के आन्दोलन पर सर्व सम्मति से तय किया गया कि 7 नवंबर को विस्थापितों के मांग को लेकर राजभवन मार्च किया जायेग।
इस सेमिनार में कांग्रेस के केशब कमलेश महतो,राजद के राजेश यादव सी.पी.एम. के गोपिकान्त बक्शी , डर वासवी कीड़ो ,माले के पुष्कर महतो केडी सिंह झामुमो के फागु बेसरा ,विजय गुड़िया महेंद्र पाठक,अब्दुल्लाह मुक्ति अज़हर कासमी राजेन्द्र यादव ,मुनि हांसदा,काशीनाथ सिंह,सतेंद्र सिंह एवं अजय सिंह मुख्य रूप से शामिल हुए।