- मोराबादी मैदान में पिछले 24 दिन से अनशन पर बैठे सहायक पुलिस कर्मियों से की मुलाकात
- मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सहायक पुलिसकर्मियों की समस्या को समाधान करने का किया आग्रह
रांची।झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने आज 20 अक्टूबर को मोरहाबादी में 24 दिनों से अनशनरत सहायक पुलिसकर्मियों के साथ मुलाकात की। इस दौरान सहायक पुलिसकर्मियों ने श्री दास को एक ज्ञापन सौंपा और अपनी मांगे रखी। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने पिछले वर्ष जो वादा किया था, उसे भी पूरा नहीं कर रही है। रघुवर दास ने कहा कि झारखंड सरकार को उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए। वे सहायक पुलिसकर्मियों के साथ सांकेतिक रूप से अनशन पर बैठे। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इन आंदोलनरत कर्मियों की मांगों पर विचार करने का आग्रह किया।
सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा को पुलिस सेवा की नियुक्तियों में प्राथमिकता देकर समायोजित करने को लेकर मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस संबंध में एक पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि आप अवगत हैं कि झारखंड अति नक्सल प्रभावित राज्यों में से एक रहा है। यहां के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण नक्सली गतिविधियों में यहां के युवा मजबूरी में शामिल होते रहे हैं। हमारी सरकार ने काफी विचार विमर्श के पश्चात नक्सल क्षेत्र के युवक एवं युवतियों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के उद्देश्य से राज्य में सहायक पुलिसकर्मी की नियुक्ति की महत्वकांक्षी योजना प्रारंभ की थी, जिसमें नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के युवक एवं युवतियों को सहायक पुलिस के रूप में नियुक्त कर तीन वर्षों का पुलिस प्रशिक्षण दिया गया था। जिसे भविष्य में राज्य में उपलब्ध होनेवाली पुलिस पदों की नियुक्तियों में प्राथमिकता देकर समायोजित किया जाना था।
सहायक पुलिस के रूप में प्रशिक्षित ये कर्मी अब काफी उपयोगी हो चुके हैं, जिनका उपयोग ट्रैफिक पुलिस, सुरक्षा पुलिस के रूप में किया जाता रहा है। कोरोना काल में इनकी भूमिका काफी उपयोगी एवं सराहनीय रही है। यह भी उल्लेखनीय है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के इन युवक एवं युवतियों का सहायक पुलिस के रूप में नियुक्त होने के फलस्वरूप राज्य में नक्सल गतिविधियों मे कमी आयी थी। कारण यह था कि पूर्व में जहां नक्सल क्षेत्रों से संबंधित युवक भटककर एवं आर्थिक प्रलोभन के कारण नक्सल गतिविधियों में शामिल हो जाते थे, वहीं पर सहायक पुलिसकर्मी के रूप में नियुक्ति होने के कारण वे मुख्यधारा में शामिल हुए। मानदेय प्राप्त होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति सबल हुई और अपने पैरों पर खड़े हो पाये। फलतः नक्सल गतिविधियों के लिए स्थानीय युवक उपलब्ध नहीं हो रहे थे।
दुर्भाग्य की बात है कि ये सहायक पुलिसकर्मी जो स्थानीय आदिवासी-मूलवासी ही हैं। अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ पिछले 24 दिनों से अपने जीवकोपार्जन के लिए रांची में विषम परिस्थितियों में नवरात्र-दुर्गा पूजा के बीच आंदोलनरत हैं। इनकी स्थिति नाजूक हो गयी है। आंदोलन के कारण इनके बच्चों की पढ़ाई भी छूट गयी है। चार पुलिसकर्मी की मौत हो चुकी है और विगत दिनों में एक और महिला सहायक पुलिसकर्मी जो गुमला की रहनेवाली थी,की भी मौत हो गयी है।
अनुरोध है कि कृपया इन सहायक पुलिसकर्मियों की उचित मांगों पर संवेदनशीलता के साथ सरकार विचार करे और इस संदर्भ में निम्न बिंदुओं को ध्यान में रखा जाना राज्य की जनता और प्रशासन के लिए श्रेयस्कर होगा। तत्काल इनकी सेवा पूर्व की भांति ली जाये तथा इनके मानदेय में प्रतिवर्ष निश्चित अनुपात में वृद्धि की जाये।प्रति वर्ष पुलिस पदों की रिक्तियों के विरूध होनेवाली नियुक्तियों में सहायक पुलिसकर्मी को प्राथमिकता दी जाये और इसके लिए सहायक पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण-सेवा के प्रत्येक वर्षों के लिए अतिरिक्त अंक दिये जा सकते हैं।जिन पांच सहायक पुलिसकर्मियों की मौत हुई है।उन्हें सरकार मुआवजा राहत राशि प्रदान करे।आशा करता हूं कि आप सहायक पुलिसकर्मियों की स्थिति पर कृपया व्यक्तिगत रूप से सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए उपरोक्त सुझावों पर शीघ्रता के साथ निर्णय लेंगे।