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रामगढ: जिले में 17 तथा 18 अक्टूबर को कई जगहों पर मध्यम से भारी बारिश के साथ मेघ-गर्जन/वज्रपात की संभावना

रामगढ़इस वर्ष मानसून ऋतु में काफी अच्छी वर्षा हुई है एवं 6 अक्टूबर को मानसून के लौटने के बाद भी वर्षा की स्थिति बनी हुई है। कृषि विज्ञान केंद्र, रामगढ के मौसम विभाग से द्वारा जानकारी दी गयी है कि एक निम्न दबाव का क्षेत्र आंध्रप्रदेश तथा ओडिशा की सीमा के तटीय क्षेत्र में स्थित है जो एक चक्रवात का कारक बन सकता है। जिसके कारण झारखण्ड के पूर्वी और मध्य भाग के साथ रामगढ में भी 17 तथा 18 अक्टूबर को कई जगहों पर मध्यम से भारी बारिश के साथ मेघ-गर्जन/वज्रपात की भी संभावना है।कृषि विज्ञान केंद्र, रामगढ़ के प्रभारी डॉ डी के राघव ने कहा कि मानसून की वर्षा से इस वर्ष खरीफ के फसलों को पानी की कमी नहीं हुई।परन्तु मानसून के बीच में वर्षा चक्र में अवरोध लंबा हो जाने के कारण किसानों को सिंचाई की व्यवस्था करनी पड़ी। उन्होंने बताया कि अभी धान की कटाई का समय आ गया है। इस समय भी मिट्टी में नमी की मात्रा भरपूर है।तथा वर्षा की स्थिति बनने से निचली खेतों में जहाँ जल-जमाव की समस्या रहती है। वहाँ धान की कटाई में अधिक विलंब होगा जिसके कारण किसान जो रबी के मौसम में आलू की खेती करना चाहते हैं वो बुआई में पिछड़ जाएंगे। आलू की बुआई में दो हफ़्ते का विलंब होने पर आलू में अगेती तथा पिछेती झुलसा रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। झुलसा रोग के लक्षण हैं। पत्तों में गोल गहरे भूरे जलने के निशान। इस रोग के लिए मानकोजेब @2 ग्रा./ली. पानी में मिलाकर छिडकाव करना चाहिए। इसके साथ ही बुआई से पहले आलू के बीज को अन्त्रकोल (प्रोपिनेब 70% WP) @2 ग्रा./की.ग्रा. बीज की दर से उपचारित अवश्य करें।

उन्होंने किसानों को सलाह दी कि रबी मौसम की अन्य फसलों की उन्नत किस्में जैसे चना (KPG-59, KAK-2), राजमा (HUR-15, अम्बर), सरसों (PM-30, पूसा बोल्ड) इत्यादि मध्यम खेत में लगाएं । जो किसान धान की बुआई विलंब से किए है उनके फसल में भूरा पर्ण फुदका कीट के आने की संभावना है, बचाव के लिए इमीडाक्लोप्रीड 17.8% SL 0.6 मि.ली. या बुफ्रोजिन 25% SC 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।