मेदिनीनगर : त्याग मई नारी का नाम उर्मिला है। कर्तव्यनिष्ठा वचन निभाने वाली सरला और निष्ठावान उर्मिला को साध्वी और सुदर्शना भी माना गया है। उक्त बातें श्रीरामचरितमानस नवाह्न परायण यज्ञ में अयोध्या से पधारे मानस प्रवक्ता शांति प्रिया ने कही ।वे उर्मिला का चरित्र चित्रण कर रही थी ।उन्होंने कहा कि उर्मिला 14 वर्षों तक पति के बियोग में अपना जीवन व्यतीत कर दिया । लक्ष्मण श्री राम के साथ बनवासी बने। तो उर्मिला महल में रहकर भी सन्यासीन रही। उन्होंने कहा कि देवी उर्मिला अपने पति से एक नहीं दो नहीं बल्कि पूरे 14 साल अलग रही।भला किसी भी विवाहिता स्त्री के लिए इससे बड़ा त्याग और समर्पण क्या हो सकता है। उन्होंने कहा की नव विवाहिता स्त्री अपने पति से कुछ समय के लिए दूर नहीं रह सकती। उर्मिला भी अपनी पतिव्रता स्त्री की तरह अपने लक्ष्मण जी के साथ जाना चाहती थी। लेकिन लक्ष्मण जी ने उन्हें ले जाने से इंकार कर दिया। उर्मिला ने बहुत बिन्नती की ।वह अपनी पति की सेवा करना चाहती है। पति के हर दुःख सुख की साथी बनना चाहती है।लेकिन लक्ष्मण जी कर्तब्य और धर्म की दुहाई देकर देवी उर्मिला को वन जाने से रोक दिया। लक्ष्मण जी ने कहा कि मैं अपने भ्राता राम और भाभी सीता की सेवा करने के लिए जा रहा हूं। मैं नहीं चाहता कि सेवा में कोई भी कमी रह जाए। इसलिए उन्होंने उर्मिला को अपने साथ नहीं ले गये।