राँची। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने रघुवर दास सरकार के कार्यकाल में आरटीई में किया गया संशोधन ना सिर्फ अव्यवहारिक है। बल्कि निजी स्कूलों को बन्द करने की साजिश है।पासवा ने कहा है कि पूरे देश में एक कानून है सिर्फ झारखण्ड में रघुवर दास ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग प्राथमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा नियमावली 2011 में संशोधन कर निजी स्कूलों की मान्यता व प्रस्विकृति में गंभीर अड़चन पैदा करने का काम किया है।आलोक दूबे ने कहा पूरे 17 महीने कोरोना काल में सैंकड़ों स्कूल बंद हो गये।
वर्त्तमान में जारी अधिसूचना के तहत नियम 12(1) में संशोधन कर मान्यता हेतु आवेदन निरीक्षण शुल्क कक्षा 1 से 5 में ₹12500 एवं कक्षा 1 से 8 के लिए ₹25000 इसके अतिरिक्त विद्यालय संचालन हेतु ₹100000 का फिक्स्ड डिपॉजिट अस्थाई रूप से सुरक्षा कोष में रखना अनिवार्य होगा!
नियम 12(7) में संशोधन : विद्यालय की स्थापना हेतु भूमि अनिवार्य रूप से विद्यालय के नाम पर निबंधित हो!
सेल डीड न होने पर 30 वर्ष की लीज डीड अनिवार्य होगा!
मध्य विद्यालय कि स्थिति में 0.75 एकड़ शहरी क्षेत्र तथा 1.0 एकड़ ग्रामीण क्षेत्र में व प्राथमिक विद्यालय कि स्थिति में 40 डिसमिल शहरी तथा 60 डिसमिल ग्रामीण क्षेत्र में भूमि अनिवार्य होगी!
कमरे का न्यूनतम आकार 18×22 का साइज अनिवार्य होगा!
नियम12(8)में संशोधन (i)-(v) : अधिसूचना के तहत जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति में मान्यता प्रदान करने हेतु अनेक सदस्यों का चयन!
न्यास,सोसायटी,प्रबंधन समिति का पंजीकरण महानिरीक्षक, निबंधन, झारखंड रांची से कराना अनिवार्य होगा!
शिक्षकों का टेट पास होना अनिवार्य होगा,अग्निशामक तड़ित चालक, शौचालय,पेयजल,कंप्यूटर लैब, साइंस लैब,मैथ्स लैब,पुस्तकालय, खेल संबंधित सामग्री इत्यादि की व्यवस्था अनिवार्य होगी!सरकारी स्कूलों में उपरोक्त सुविधाएं मौजूद हैं या नहीं सरकार को जवाब देना चाहिए।सरकार की शर्तों में अगर परिवर्तन नहीं किया गया तो 80 प्रतिशत निजी स्कूल बंद हो जाऐंगे।
एसोसिएशन सोमवार 11 अक्टूबर को सूबे के शिक्षा सचिव से मिलकर और आग्रह करते हुए सवाल उठाएंगे कि क्या पूर्व सरकार द्वारा बनाई गई नियमावली अव्यवहारिक है या नहीं, जनहित और शिक्षा की बेहतरी के लिए इसके कुछ सर्वथा गैर वाजिब प्रावधानों पर पुनः विचार कर संशोधन अवश्य होना चाहिए!
जिसमें – मान्यता हेतु आवेदन निरीक्षण शुल्क समाप्त किया जाए,भूमि बाध्यता पूर्ण रूप से समाप्त हो,भूमि न्यास,सोसाइटी विद्यालय के नाम से ही निबंधित हो!
लीज डीड की की अवधि 5 वर्ष स्वीकार्य हो!
वर्तमान में संचालित विद्यालयों को उनके वर्तमान भवन में यथावत स्थिति में स्वीकृति दी जाए! न्यास,सोसायटी प्रबंधन समिति का जिला स्तरीय ही निबंधन मान्य हो।
आलोक दुबे ने कहा जितने भी नियम और कानून हैं, निजी विद्यालयों को ही मान्यता देने के लिए शर्ते रखी जाती हैं। क्या सरकारी स्कूलों में किसी भी शर्त का पालन हो रहा है, सरकार की सारी मिशनरी निजी विद्यालयों को लेकर ही चिंतित रहती है, सरकारी विद्यालयों के प्रति सरकार से लेकर अधिकारी और प्रशासन के लोग कोई भी जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं दिखाई देते, सारे नेता,अधिकारी अपने बच्चे को निजी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए एडमिशन के लिए दबाव बनाते हैं और इतना ही नहीं अपने परिवार के लोगों को स्कूल में शिक्षक नियुक्त करने कादबाव बनाते हैं,जितने भी नियम हैं वह सिर्फ निजी विद्यालयों के लिए है जो सर्वथा अनुचित है।