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सम्मेद शिखरजी का दर्शन कर 72 दीक्षार्थी रांची पहुंचे

देश में नवंबर महीने के अंतिम में जैन धर्म का सबसे बड़ा दीक्षा महोत्सव सूरत में होने जा रहा

झारखंड सरकार की ओर से मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने किया सभी का स्वागत

देश में सबसे पुराने धर्म में शामिल बौद्ध और जैन धर्म को समकालीन माना जाता है: डॉ रामेश्वर उरांव

श्वेतांबर जैन समाज का जो उद्देश्य है उस उद्देश्य की प्राप्ति में आप निरंतर आगे बढ़े: तारिक अनवर

रांची। अकबर शासनकाल के बाद देश में नवंबर महीने के अंतिम सप्ताह में जैन धर्म का सबसे बड़ा दीक्षा महा- उत्सव सूरत में होने जा रहा है।जैन धर्म में दीक्षा ग्रहण करने के पहले तीर्थ स्थलों का दर्शन करने निकले 72 दीक्षार्थी पारसनाथ पहाड़ी स्थित सम्मेद शिखरजी का दर्शन करने के बाद आज रांची पहुंचे, जहां झारखंड सरकार की ओर से वित्त सह खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ0 रामेश्वर उरांव के साथ वरीष्ठ कांग्रेस नेता आलोक कुमार दूबे,लाल किशोर नाथ शाहदेव,डा राजेश गुप्ता छोटू ने उनका स्वागत किया।


इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर, राज्य के कृषि मंत्री बादल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर, वरिष्ठ नेता रोशन लाल भाटिया,विनीता पाठक नायक,सुषमा हेंब्रम,सोनी नायक,अर्चना मिर्धा मुख्य रूप से उपस्थित थे।
वित्तमंत्री डॉ0 रामेश्वर उरांव ने दीक्षार्थियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस देश में सबसे पुराने धर्म में शामिल बौद्ध और जैन धर्म को समकालीन माना जाता है। जैन धर्म में दीक्षा लेने के लिए 72 सदस्य आज सूरत केलिए रवाना हो रहे है, इनसे समाज को सीखने की जरूरत है।आज कई लोग धन एकत्रित करने और गरीबों का शोषण करने में ही अपने कोबड़ा समझते है, उन्हें यह समझने की जरूरत है। दीक्षा लेने वाले सभी सदस्य धनवार है, संपत्ति वाले परिवार से आते है,लेकिन इन्होंने सबकुछ त्याग कर समाज को एक संदेश देने का काम किया है, करूणा, त्याग और प्रेम तथा भाईचारे के इस संदेश से समाज को एक नयी दिशा मिलेगी।राज्य सरकार की ओर से इन सभी दीक्षार्थियों का स्वागत किया गया और आने वाले समय में इन्होंने जो कठिन जीवन व्यतीत करने का निर्णय लिया है, वह बढ़िया से बीते, यही ईश्वर से कामना है और इन्होंने अपना सबकुछ धन दौलत, परिवार, नाता-रिश्ता त्याग कर जो संदेश दिया है, समाज उसके लिए कृतज्ञता व्यक्त करता है और आने वाले समय में समाज में प्रेम और आपसी भाईचारे में बढ़ोत्तरी होगी।
मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव तारिक अनवर ने कहा दीक्षांत लेने जा रहे भाइयों बहनों का अभिनंदन करते हुए मुझे अपार खुशी हो रही है, ईश्वर आप सबको सफलीभूत करें,उन्होंने कहा मुझे खुशी है कि इस पवित्र काम में सहयोग करने का अवसर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्राप्त हुआ पार्टी के हैसियत से मैं आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं और आशीर्वाद देता हूं कि आप जैन समाज को आगे बढ़ाने में भरपूर सहायता करेंगे और श्वेतांबर जैन समाज का जो उद्देश्य है उस उद्देश्य की प्राप्ति में आप निरंतर आगे बढ़ेंगे।


सम्मान समारोह का संचालन करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे ने कहा धन, दौलत, आराम, परिवार, ऐसो आराम के सारे सुख को छोड़कर दुनिया की सारी माया मोह को त्याग कर अपना पूरा जीवन भगवान की शरण में गुजार देने का फैसला यह कोई साधारण फैसला नहीं है। उन्होंने कहा कि ईश्वर आप सब दिक्षार्थियों को अपार शक्ति दे ताकि आप अपने पथ प्रदर्शक पर आगे बढ़ सकें।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा जैन धर्म की दीक्षा को समझने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है इसकी मूल भावना को समझना, जैन धर्म के पांच मूल सिद्धांत सत्य,अहिंसा, ब्रह्मचर्य,अचौर्य, अपरिग्रह। इन सिद्धांतों को मानकर गुरु से दीक्षा लेते हैं और फिर अपने घर परिवार को कभी मुड़कर नहीं देखते।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि जहां हम चार कदम की दूरी भी बिना किसी वाहन टाइम नहीं कर पाती वही जैन साधु भीलों का रास्ता बिना पैरों में किसी चप्पल के पैदल चलते कर लेते हैं यह जैन समाज भारतीय संस्कृति,भारतीय दर्शन कला, वास्तु कला विज्ञान, और मोहनदास गांधी की राजनीति में योगदान के लिए एक उल्लेखनीय उपस्थिति रही है, जैन धर्म के लोगों का भारतीय संस्कृति, सभ्यता और समाज को विकसित करने में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
स्वागत एवं सम्मान समारोह में जैन समाज की ओर से वरिष्ठ सहयोगी संपत लाल रामपुरिया, अमरचंद बेगानी, सुरेश जैन बोथरा, रीखब चंदू भंशाली, विनायक मेहता, राजकुमार रामपुरिया,प्रकाश जी पारक, घेवर चंद नहाटा, मूलचंद सुराणा, विनय नहाटा, चंपा भाटिया, ज्योति रामपुरिया, पोखराज रामपुरिया, पदम जैन छाबड़ा, अजय जैन, सुभाष विनायका उपस्थित थे एवं जैन समाज की महिलाओं ने दीक्षार्थी भाइयों एवं बहनों को भोजन कराया।
सम्मान समारोह के उपरान्त दीक्षार्थी बन्धु डोरंडा स्थित जैन मंदिर गये और पूजा अर्चना के बाद रांची एअरपोर्ट से दीक्षा ग्रहण करने के लिए सूरत के लिए प्रस्थान कर गये।
ज्ञातव्य हो कि झारखंड के पारसनाथ पहाड़ी में अवस्थित सम्मेद शिखरजी जैन धर्मावलंबियों का सबसे प्रमुख तीर्थ स्थल है और देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु प्रतिवर्ष यहां आते हैं। आगामी 29 नवंबर को जैन धर्मावलंबियों की दीक्षा का महा-उत्सव सूरत में होने जा रहा है और इस क्रम में झारखंड के प्रसिद्ध तीर्थस्थली पारसनाथ पहाड़ी में अवस्थित सम्मेद शिखरजी में भी 72 से अधिक दीक्षार्थी दर्शन के लिए रांची होते हुए जा रहे हैं।