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खोरठा भाषा के पुरोधा डॉ. एके झा और पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा याद किए गए

रामगढ़।  खोरठा और झारखंडी भाषा साहित्य आंदोलन के महान पुरोधा डॉ ए के झा और पद्मश्री डॉ राम दयाल मुंडा को उनके स्मृति दिवस पर खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद के द्वारा याद किया गया। इस मौके पर परिषद् के अध्यक्ष डॉ बीएन ओहदार के साथ ही बासुदेव महतो पढ़ाकू, डॉ. गजाधर महतो प्रभाकर, दिनेश दिनमणि, अनाम अजनबी, विकी कुमार तथा अन्य खोरठा कर्मियों परिषद के सदस्यों ने झारखंड के दोनों भाषा संस्कृति नायकों के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। उल्लेखनीय है कि ए के झा का निधन 29 सितंबर 2013 को और डॉ. रामदयाल मुंडा का 30 सितंबर 2012 को हुआ था।
इस अवसर पर परिषद् के अध्यक्ष डॉ बीएन ओहदार ने एके झा और रामदयाल मुंडा द्वारा झारखंड के संदर्भ में किये गये कार्यों और उनकी व्यापक दूरदृष्टि की चर्चा की। डॉ ओहदार जी ने बताया कि एकेडमी के स्तर पर खोरठा भाषा को उच्चतम शिखर पर पहुंचाने में सबसे अधिक श्रेय ए के झा को जाता है। जिसमें मुंडा जी का भरपूर सहयोग मिला था।
बासुदेव महतो ने दोनों झारखंडी नायकों को झारखंडी अस्मिता के महान् उद्घाटक बताया।डॉ गजाधर महतो प्रभाकर ने इनके विचारों की प्रासंगिकता को रेखांकित किया।
दिनेश दिनमणि ने पद्मश्री रामदयाल मुंडा को झारखंडियत के महानायक और एके झा को झारखंडी भाषाओं के एकीकरण के प्रबल पक्षधर बताया। मौके पर अनाम अजनबी और विकी कुमार ने भी विचार व्यक्त किए।