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ब्रह्मर्षि धर्मशाला में मनाया गया राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जयंती समारोह

दिनकर जी की गद्य और पद्य से जुड़े विभिन्न रचनाओं को आत्मसात करने की जरूरत: डॉ मिथिलेश

रामगढ़अश्वर सिंह ब्रह्मर्षि धर्मशाला रामगढ़ के तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती समारोह कार्यक्रम आज धर्मशाला के सभागार में संपन्न हुई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रह्मर्षि परिषद रामगढ़ के जिला अध्यक्ष रविंद्र प्रसाद शर्मा ने की। बतौर मुख्य अतिथि रामगढ़ कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर मिथिलेश कुमार सिंह व सम्मानित अतिथि प्रोफेसर सिटी सिंह,आशुतोष कुमार सिंह,सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता, प्रोफेसर राजेश प्रसाद, प्रोफेसर केके शर्मा,सीपी संतन, रामजी प्रसाद सिंह की गरिमामय उपस्थिति में सर्वप्रथम राष्ट्रकवि दिनकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभ आरंभ की गई। मंचासीन अतिथियों को ब्रह्मर्षि परिषद के जिला पदाधिकारियों ने पुष्प गुच्छ एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया अनुराग कुमार ने मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर मिथिलेश कुमार सिंह को रामधारी सिंह दिनकर की तस्वीर भेंट की कार्यक्रम मे स्वागत भाषण समाज के संरक्षक सीपी संतन और अध्यक्षीय भाषण रविंद्र प्रसाद शर्मा ने किया। बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर मिथिलेश कुमार सिंह ने राष्ट्रकवि दिनकर की जीवनी से जुड़े इतिहास और साहित्य के संबंधों पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा की आज समाज को जरूरत है। देश के इतिहास और साहित्य के प्रासंगिकता को प्रासंगिकता को पढ़ने और समझने की जरूरत है दिनकर जी के गद्य और पद्य से जुड़े विभिन्न रचनाओं को आत्मसात करने की जरूरत है। कविताओं के द्वारा उन्होंने लोकप्रियता को हासिल किया।जबकि गद्द के माध्यम से हिंदी साहित्य जगत में उनकी अप्रतिम पहचान बनी यही कारण है कि भारत सरकार ने उन्हें राष्ट्र कवि के रूप में साहित्य अकादमी ज्ञानपीठ पुरस्कार और पद्म भूषण की उपाधि से अलंकृत किया।

प्रोफ़ेसर सीटीएम सिंह ने कहा रामधारी सिंह दिनकर बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे उनकी आज तेज और प्रेरक कवि के रूप में एक महत्वपूर्ण स्थान को प्राप्त किया। प्रोफेसर राजेश प्रसाद ने कहा की हिंदी साहित्य जगत का दैनिक मान्य नक्षत्र के रूप में दिनकर को जाना जाता है। सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा की धन्य उनके माता-पिता जो ऐसे होनहार बालक को जन्म दिया जिन्होंने भारतवर्ष में अपना नाम रोशन किया। प्रोफेसर केके शर्मा ने कहा की सही मायने में दिनकर जी ने राष्ट्रवाद को स्थापित करने का हर संभव प्रयास किया था।उनकी रचनाओं से ही उनके व्यक्तित्व और कृतित्व झलकता है। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संजय सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन शालिग्राम सिंह ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से अनमोल कुमार सिंह, संत कुमार सिंह, अशोक कुमार सिंह, नवल किशोर शर्मा, मुरारी शर्मा, दिवाकर सिंह विभन सौरभ कुमार हरे राम शर्मा सुरेंद्र शर्मा रामजी प्रसाद सिंह सत्येंद्र सिंह हरे कृष्ण शर्मा मुकुंद सिंह विकास पांडे मिशु सिंह अभिषेक उपस्थित थे।