रामगढ़। गुरुजी वासुदेव बनर्जी फाउंडेशन एवं नया रास्ता संगठन” के संयुक्त तत्वावधान में, चेटर-कोठार गांवों के बीच अवस्थित धुमधुमियां टुंगरी में करम महोत्सव मनाया गया।
करम कथा का वाचन संगठन के अध्यक्ष डा.बी.एन. ओहदार ने किया।उन्होंने कहा कि करम-पूजा झारखंड की पहचान का पर्व है, जिस तरह गणेशोत्सव महाराष्ट्र की पहचान का पर्व आज बन गया है।झारखंड अलग राज्य आंदोलन में झारखंड के सभी आदिवासी एवं सदान समुदायों को एकजुट करने एवं एक मंच में लाने में
करम और सरहुल इन दोनों पर्वों की बड़ी भूमिका रही है।आगे उन्होंने बताया कि करम पर्व कर्म और धर्म के समन्वय का पर्व है।यह हमें धर्म सम्मत कर्म करने की ओर प्रेरित करता है।
गोसा गांव के अवकाश प्राप्त शिक्षक श्री लालकेश्वर महतो ने कहा, यह भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व है।
संगठन सचिव श्री अवधेश साहु ने इसे पर्यावरण संरक्षण का पर्व बताया।
संगठन के संरक्षक डा.निर्मल बनर्जी ने अपने संबोधन में कहा कि इस पर्व के साथ बहुत सारी लोकमान्यताएं जुड़ी हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं।उन्होंने कहा कि मानवीय सभ्यता इतिहास ही इस पर्व का इतिहास है।
इस अवसर पर मुख्य रूप से सेवा निवृत्त शिक्षक भोला महतो,देवशरण महतो,प्रो.नागेश्वर महतो,शिक्षक, अनिल कश्यप,राजेश कुमार, सोहन महतो,शिवचरण महतो,पन्नालाल महतो,दासो महतो,रोहित महतो,अंकित कुमार, निरज कुमार आदि ने भाग लिया।