- वासंतिक नवरात्र का चौथा दिन,माँ कुष्मांडा की हुई पूजा
रामगढ़ l प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी वासंतिक नवरात्र के मौके पर मंदिरों में मां दुर्गा की पूजा अर्चना हो रही हैl जिले के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित मंदिरों मैं चैती नवरात्रा के मौके पर नवरात्र पाठ किया जा रहा है l देश की प्रसिद्ध मां छिनमस्तिका मंदिर में रोजाना श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ाते जा रही हैl वही रामगढ़ शहर में स्थित प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ हो रही हैl यहां चैती नवरात्रा के मौके पर विशेष पूजा अर्चना की जा रही हैl सुबह से लेकर शाम तक मंदिर में श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा हैl
वही चैती नवरात्रा के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना हुईl पुजारियों ने बताया कि देवी कुष्मांडा को आदिशक्ति मां भुवनेश्वरी , कल्याणी , नारायणी , त्रिपुरसुंदरी , भवानी आदि नामों से भी जाना जाता है । ये ही तीनों लोकों की त्रिलोकिता हैं ।
जीव के गुणों में संकेतों और भावप्रवणता का अपना महत्व है और यही लाक्षणिक गुणों की शक्ति और उनको प्रदान करने वाली देवी कुष्मांडा हैं । यह स्वास्थ्य की भी देवी हैं विशेषकर उदर संबन्धी ।स्त्री स्वास्थ्य । यह नारायणी हैं । इनकी आठ भुजाएं हैं । इनके सत हाथों में कमंडल,धनुष, वाण, कमल- पुष्प, कलश ,चक्र और गदा है । आठवें हाथ में सिद्धियां और निधियां को प्रदान करने वाली माला है ।
यह रूप दुर्गा देवी का चौथा स्वरूप कुष्मांडा देवी का है । देवी ब्रह्मचारिणी की तरह ही इन्हें भी सृष्टि का सर्जक कहा गया है । ब्रह्मांड की उतपत्ति करने के कारण ये कुष्मांडा कहलातीं हैं । अपनी मंद-मंद हंसी से ही ये आदि स्वरूपा , आध शक्ति के रूप में विख्यात हैं । मुख्यतया देवी कुष्मांडा भाव , लक्षण , संकेत की प्रतीक हैं । मानवीय स्वरूप में इन तीनों का महत्वपूर्ण स्थान है । साधारणतयः हम अपने शरीरवय की व्याख्या भी तो करते हैं न कि मेरी आंखें कितनी सुंदर है ? साक्षात बोलती हैं ।
जीव के गुणों में संकेतों एवं भावप्रवणता का अपना महत्व है तथा यही लाक्षणिक गुणों की शक्ति और इनको प्रदान करने वाली देवी कुष्मांडा हैं । ये ही नारायण की शक्ति के कारण नारायणी हैं ये ही शरीर-शास्त्र , रोग-निरोग शक्ति और स्वास्थ्य की देवी हैं । इनकी उपासना से आयु , यश , बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है । श्रीदुर्गा कवच में देवी ने इन्हीं शरीर अवयव और उनकी शक्तियों का वर्णन किया है । चूंकि नवरात्र ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है इसलिए नौ देवियों का वर्णन भी हमारे शरीर और वातावरण से जुड़ा हुआ है । भगवती हमें संदेश देती हैं कि हम क्या करें और क्या न करें । प्रकृति से प्रारंभ देवी चरित मध्यमा में आते हैं । दैनिक ,दैविक और भौतिक तापों की शांति इन शक्तियों के माध्यम से हो सकती है ।