पतरातू। पतरातू थर्मल में स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में शिशु,बाल और किशोर भारती के तत्वाधान में छत्रपति शिवाजी की जयन्ती एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की पुण्यतिथि मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत शिवाजी महाराज एवं गुरूजी के चित्र पर पुष्पार्चन के साथ हुई। मंच संचालन भैया आर्यन के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कक्षा चतुर्थ से लेकर कक्षा एकादश तक के भैया बहनों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। भैया बहनों ने अपने वक्तव्यों की मोतियों से शिवाजी महाराज के पूरे जीवन की माला को एक धागे में गूंथ दिया। सभी भैया बहन काफी उत्साहित थे। भैया बहनों ने अपने भाषणों से शिवाजी महाराज के जन्म से लेकर मृत्यु तक उनके संघर्ष और विजय की गाथा एवं जीवन के विभिन्न प्रसंगों से पूरे सभा को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को पुणे के शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। सर्वप्रथम 15 वर्ष की आयु में वे तोरण दुर्ग के राजा बने। वहां से उनके जीवन में कई उतार चढ़ाव एवं जीत हार हुए। अंततः 5 जून 1674 में हिंदू सम्राट के रूप में उनका राज्याभिषेक हुआ। उनकी मृत्यु किसी बीमारी के कारण 3 अप्रैल 1680 को हुई। प्रधानाचार्य सुरेंद्र कुमार पाठक ने भैया बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि शिवाजी का जीवन प्रसंग किसी प्रेरणा से कम नहीं है। वे वीरता एवं साहस के परिचायक थे। उनका जीवन यह सिखाता है कि किस तरह विभिन्न मुसीबतों के बीच रहकर अपने अदम्य साहस और बुद्धि के बल पर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने संघ के द्वितीय संघचालक गुरूजी के बारे भैया बहनों को अवगत कराते हुए कहा कि उन्होंने अपना जीवन समाज को एकजूट करने में लगा दिया। कार्यक्रम में प्रधानाचार्य सुरेंद्र कुमार पाठक एवं अन्य आचार्य सहित कर्मचारी उपस्थित थे।