अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला मैं दोजख की हूरें का लोकार्पण

रांचीlदिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला में रेणुका तिवारी द्वारा लिखित “दोजख की हूरें’ का लोकार्पण सह संवाद कार्यक्रम प्रलेक् प्रकाशन के स्टाल पर किया गया।लोकार्पण प्रसिद्ध लेखक प्रोफेसर केदार मीणा एवं प्रोफेसर प्रभात कुमार मिश्र(काशी हिंदू विश्वविद्यालय)एवं प्रसिद्ध हिंदी आलोचक,स्वामी रणधीर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
इस अवसर पर लेखिका रेणुका तिवारी ने अपने उपन्यास की पृष्ठभूमि और उद्देश्य पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि उपन्यास में वर्णित हर स्त्री चरित्र एक टीम लीडर और प्रतिरोध के विरुद्ध खड़ी एक नेतृत्वकर्ता है।जो उनके लिए निर्मित दोजख को अपनी हिम्मत से ध्वस्त कर जन्नत का निर्माण कर लेती है।
प्रोफेसर केदार मीणा ने कहा कि वैसे तो इसकी पृष्ठभूमि बिहार की है पर इस समस्या का फलक काफी व्यापक है।
प्रोफेसर प्रभात मिश्र ने स्त्री विमर्श और लेखनका दायरा बढ़ चला है।स्त्री का लिखा हुआ सिर्फ स्त्री केंद्रित न होकर अब अपनी व्यापकता को दिखा रहा है। यह उपन्यास उसका परिचायक है।
युवा कवि आशुतोष ने कहा कि पुस्तक का नाम बेहद खूबसूरत है।हुर्रे जन्नत में होती हैं,पर स्त्री दोजख में भी जन्नत का निर्माण कर सकती है,अपने आत्मबल और साहस के कारण। यही इस उपन्यास का संदेश है जिसका स्वागत होना चाहिए।
स्वामी रणधीर जी ने ये पुस्तक नही है बल्कि वेद है।बिहार की इस घटना में बच्चीयों को किस तरह से प्रताड़ित किया गयाlशोषण किया गया वह एक जघन्य अपराध की याद दिलाता है। ऐसी घृणित व्यवस्था पुरुषों द्वारा निर्मित दोजख का निर्माण करते हैं।पर वही स्त्री अपने विनाशकारी रूप में जब इस दोजख का अग्नि दहन करती है तो सबकुछ स्वाहा स्वाहा हो जाता है।उसके बाद स्त्री अपने लिये जन्नत का निर्माण करती है। तो यह स्त्री का अपना आत्मबल होता है जिसके कारण वह खड़ी हो जाती है। ऐसे उपन्यास का रचा जाना जरूरी है ताकि स्त्रियों का आत्मसम्मान बचा रह सके।
इस कार्यक्रम में झारखंड से सुधीर कुमार,प्रीतम मिश्रा, अत्युत्तम छत्तीसगढ़ से,रंजीता मिश्रा विशेष रूप से सम्मिलित हुए।कार्यक्रम का समापन प्रलेक् प्रकाशन के प्रकाशक जितेंद्र पात्रों द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से किया गया।