रामगढ़ l प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र ब्रह्माकुमारी संस्थान श्री राज कॉमप्लेक्स, नेहरू पथ,त्रिकोण शिवमंदिर के पास, रामगढ़ कैन्ट में संस्था के संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा के स्मृति दिवस सप्ताह में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कमल बगड़िया, समाजसेवी एवं उद्योगपति ने कहा श्रेष्ठ जन जिस प्रकार का आचरण-व्यवहार, आदर्श और क्तव्य करते हैं उसी तरह का आचरण और व्यवहार अन्य सभी मानव करने लग जाते हैं। प्रेम, शांति, पवित्रता से ओतप्रोत ब्रह्मा बाबा ने परम पिता परमात्मा का गीताज्ञान और राजयोग का संदेश इस धरा के मानव तक पहुँचाया। समस्त मानव को उन्होंने संदेश दिया कि पतित दुनिया विनाश होकर अब पावन सतयुग आने वाला है जिसमें सभी आत्माएँ सुखी और शांति से सम्पन्न होगी।
कार्यक्रम में उपस्थित चन्द्रभान सरस्वती विद्या मन्दिर के प्रचार्य वरूण कुमार चौधरी ने कहा कि आत्मा और परमात्मा के ज्ञान को समस्त नर-नारी प्रायः विस्मृत कर माया के जाल में मछली के समान फॅँस कर छटपटा रहे थे। अशांति, चिन्ता, मनोविषाद, प्राकृतिक आपदाओं से विवश होकर अंधविश्वास और अज्ञानता के चपेट में पड़े हुए थे। जिसका ब्रह्मा बाबा ने स्पष्ट अवलोकन अपने अध्यात्म जीवन में किया था। ब्रह्मा बाबा ने जितने भी संसारिक कर्म किये वह सब अलौकिक कल्याण के लिये थे। उसमें उनकी न तो आसक्ति थी और न ही अहं था। कर्म का परित्याग करने हेतु ब्रह्मा बाबा ने नहीं कहा परंतु संदेश दिया कि अध्यात्म ज्ञान बिना लौकिक कर्म अधूरा है और ईश्वरीय ज्ञान में महिला कभी बाधक नहीं होती है। नारी के साथ ही आध्यात्मिक ज्ञान में रहने से नर- नारी में पवित्रता आती है।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन द्वारा जानकारी दी गयी कि ब्रह्मा बाबा सन् 1969 में जनवरी मास में स्थूल देह का परित्याग कर अव्यक्त हो गये। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय
विश्व विद्यालय के वे जनक थे। जिसकी स्थापना 1936 में उनके द्वारा की गयी थी। ब्रह्मा बाबा ने ही महिलाओं को स्वतंत्र विचारधारा दी और परमात्म ज्ञान को प्राप्त करने का अधिकारी बनाया।
चतुर लोग हमेशा महिलाओं को समाज में पराधीन बनाकर रखते थे। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने
से वंचित रखते थे। इस परम्परा को तोड़ते हुए 400 महिलाओं को आध्यात्मिक ज्ञान से जोड़ते हुए
ब्रह्माकुमारीज संस्थान की स्थापना की। महिलाओं को लौकिक कर्तव्यों का पालन करते हुए परमात्मा मिलन हेतु राजयोग का पाठ पढ़ाया। ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थापना उस समय हुई थीlजिस समय सम्पूर्ण संसार के मानव अंधकार और अज्ञानता के दौर में गुजर रहे थे।
ब्रह्मा बाबा के स्मृति स्तंभ शांति स्तंभ पर पुष्पांजली अर्पित किया गया तथा कार्यक्रम में सुस्वागत गान, परमात्म आधारित नृत्यगान के माध्यम से ब्रह्मा बाबा के जीवनी और उनके तन में
परमपिता परमात्मा के अवतरण के बारे में दिखाया गया। तत्पश्चात् गाईडेड मेडिटेशन का अभ्यास
किया गया। अन्त में केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने आगन्तुकों को परमात्म आशीवचन और शांति संदेश दिया। ब्रह्माभोजन का आयोजन हुआ।