रामगढ़ l प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) रामगढ़ के मार्गदर्शन में जिले के सभी प्रखंडों में विधिक सशक्तिकरण शिविरों का व्यापक और सफल आयोजन किया गया। इन शिविरों का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर, पिछड़े और वंचित वर्गों को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी देना और उन्हें न्याय तक पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित करना था। शिविर का उद्घाटन रामगढ़ व्यवहार न्यायालय के विभिन्न न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा किया गया। प्रत्येक प्रखंड में न्यायिक अधिकारियों ने शिविर का नेतृत्व किया और वहां मौजूद लोगों को विधिक सहायता, उनके अधिकार, सरकारी योजनाओं और न्यायपालिका द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं की जानकारी दी।
शिविर में न्यायिक अधिकारियों की भूमिका
दुलमी प्रखंड:शिविर का नेतृत्व सीजीएम मनोज कुमार राम ने किया। उन्होंने उपस्थित जनता को मुफ्त विधिक सहायता सेवाओं, महिलाओं और बच्चों के अधिकारों, और कानून के तहत कमजोर वर्गों को मिलने वाली विशेष सुरक्षा के बारे में जानकारी दी। मांडू प्रखंड:यहां एसीजीएम संदीप कुमार बर्तन ने लोगों को घरेलू हिंसा, वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार और बाल संरक्षण कानूनों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कानूनी समस्याओं के समाधान के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से निशुल्क सहायता कैसे प्राप्त की जा सकती है।रामगढ़ प्रखंड:सिविल जज शिवेंदु त्रिवेदी और रोहित कुमार ने नागरिक अधिकार, महिलाओं की गरिमा और बच्चों के प्रति संवैधानिक दायित्वों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि समाज के हर वर्ग के लिए कानून में समानता सुनिश्चित की गई है। पतरातू प्रखंड:डालसा सचिव अनिल कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कानूनी जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि गरीब और वंचित वर्गों को उनके अधिकारों का उपयोग करने के लिए किस प्रकार सहायता दी जा सकती है। चितरपुर प्रखंड:सिविल जज संजीबिता गुईन और आयशा सिंह सरदार ने महिला सशक्तिकरण पर विशेष जोर दिया। उन्होंने घरेलू हिंसा, संपत्ति अधिकार और बाल विवाह जैसी समस्याओं पर कानूनी जानकारी प्रदान की। गोला प्रखंड:सिविल जज प्रतिमा उरांव और आलोक सिंह ने सामाजिक न्याय, शिक्षा के अधिकार, और विधिक साक्षरता पर जोर दिया। उन्होंने स्थानीय लोगों को यह भी समझाया कि कानूनी सेवाओं का लाभ कैसे लिया जा सकता है।
शिविर की मुख्य विशेषताएं
कानूनी साक्षरता:
लोगों को मुफ्त विधिक सहायता सेवाओं, उनके मौलिक अधिकारों, और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। शिविर के दौरान पात्र लाभार्थियों को परिसंपत्तियों का वितरण किया गया। इनमें विकलांग व्यक्तियों के लिए उपकरण, छात्रों के लिए शैक्षणिक सामग्री, और महिलाओं के लिए सिलाई मशीनें शामिल थीं। शिविर में बाल संरक्षण कानून, वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार, और घरेलू हिंसा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए गए। शिविर में उपस्थित लोगों के कानूनी सवालों के उत्तर देने के लिए विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इसके तहत कई लोगों को उनकी व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान के लिए मार्गदर्शन दिया गया। शिविर में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और इस पहल की सराहना की। उन्होंने इसे अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाज में न्याय की पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। जिला विधिक सेवा प्राधिकार रामगढ़ ने इस कार्यक्रम के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि विधिक सेवाओं का लाभ समाज के सबसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे। इस तरह के आयोजन न्यायपालिका और जनता के बीच एक मजबूत सेतु का निर्माण करते हैं और सभी को न्याय का अधिकार दिलाने में सहायक होते हैं। विधिक सेवा सह सशक्तिकरण शिविर में कुल 45,643 लाभान्वित हुए और कुल 13,44,25,000.00(तरह करोड़ चौवालीस लाख पच्चीस हजार) रुपयों की परिसंपत्तियों का वितरण किया गया।