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    वन नेशन वन इलेक्शन के खिलाफ झामुमो

    मोदी कैबिनेट के फैसले को बताया काला फैसला

    रांची l नरेंद्र मोदी कैबिनेट द्वारा वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को स्वीकृति दिए जाने को झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लोकतंत्र के लिए काला फैसला करार दिया है. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने रांची में पार्टी के केंद्रीय कैंप कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन कर केंद्र और भाजपा पर जमकर प्रहार किया.
    झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भारत के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने आशंका जताई थी कि यह देश कहीं सामाजिक लोकतंत्र को खोकर अधिनायकवाद की ओर न चला जाए. कई संविधानिक अनुच्छेदों का हवाला देते हुए सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि संविधान संशोधन की मूल भावनाओं को ताक पर रखकर उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता.
    सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने जिस लोकतांत्रिक गणराज्य की वन नेशन वन इलेक्शन की ओर बढ़ना बाबा साहेब के उस परिकल्पना की हत्या करने के समान है. झामुमो ने लोजपा, जदयू, टीडीपी और एनडीए में शामिल अन्य क्षेत्रीय दलों से वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध करने का आह्वान किया है.

    क्षेत्रीय दलों को समाप्त करने की साजिश है वन नेशन वन इलेक्शन

    झामुमो नेता ने कहा कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में निर्वाचित सरकार को गिराकर अपनी नई सरकार बना लेने वाली भाजपा ने क्षेत्रीय दलों को कमजोर और समाप्त करने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन के कांसेप्ट को लागू करना चाहती है. वन नेशन वन इलेक्शन से क्षेत्रीय दलों की शक्तियां समाप्त हो जाएंगी. भाजपा ने पहले शिवसेना को तोड़ा फिर खा गए, फिर एनसीपी को तोड़ा और उसे खा गए. अब एनडीए में शामिल जदयू, लोजपा (रामविलास), तेलगुदेशम पार्टी (TDP) एवं अन्य दलों के नेता को चाहिए कि वह इसका विरोध करें.

    आरएसएस के 100 वर्ष होने पर मनुस्मृति सोच के तहत है यह फैसला

    सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि एक देश एक चुनाव की यह सोच मनुस्मृति की सोच है. भाजपा और आरएसएस की जाति और सत्ता श्रेष्ठता की सोच है. क्योंकि वर्ष 2025 आरएसएस के स्थापना का 100वां वर्ष है. हमने राज्य में आरएसएस के प्रवाह को रोका है. ऐसे में लोकतंत्र के पैरोकार सभी एकजुट हो जाएं. टीडीपी, लोजपा, जनता दल (यू) भी खतरा भांप कर हमारे साथ हो लें.

    रामनाथ कोविंद कमेटी ने की थी वन नेशन वन इलेक्शन की अनुशंसा

    बता दें कि एक देश एक चुनाव को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी. उस कमेटी ने भी अपनी विस्तृत रिपोर्ट में वन नेशन वन इलेक्शन की अनुशंसा की थी जबकि तब इस कमेटी के सामने झामुमो, राजद जैसे दलों ने अपना कोई पक्ष नहीं रखा था. जब ईटीवी भारत संवाददाता ने यह सवाल झामुमो के केंद्रीय महासचिव से किया तो उन्होंने कहा कि सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए उनके दल से विचार मांगे गए थे, इसलिए झामुमो उससे दूर रहाl

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