- हेलमेट पहनना जीवन रक्षक होने के साथ जिम्मेदार नागरिक होने का भी कराती है एहसास: निशा जायसवाल
हजारीबागlसमाज में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और जीवन की रक्षा के लिए एंजल्स हाई स्कूल और डीपीएस स्कूल परिवार ने एक सराहनीय कदम उठाया है। अब से हेलमेट के बिना स्कूल में प्रवेश पूरी तरह वर्जित होगा। यह पहल न केवल बच्चों और उनके अभिभावकों
की सुरक्षा सुनिश्चित करेगीl बल्कि समाज को सड़क सुरक्षा के महत्व को समझाने का एक प्रयास भी है।
पहल के प्रमुख बिंदु
अभिभावकों के लिए अनिवार्यता स्कूल प्रबंधन ने यह सुनिश्चित किया है कि जो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल लेकर आएं या उन्हें स्कूल से वापस लेकर जाएं, वे हेलमेट पहनकर ही आएं। कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए भी नियम लागू, सिर्फ अभिभावक ही नहीं, बल्कि स्कूल के सभी शिक्षक, कर्मचारी और अन्य स्टाफ सदस्यों के लिए भी हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। यह एक जिम्मेदारी और अनुशासन का संदेश देता है। बिना हेलमेट स्कूल में प्रवेश को सख्ती से रोका जाएगा। स्कूल परिसर के अंदर भी यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी नियमों का पालन हो।
यह कदम एक दर्दनाक घटना के बाद उठाया गया है। बीते दिनों शंकरपुर क्षेत्र के पास हुई सड़क दुर्घटना में डीपीएस स्कूल के एक छात्र और उनकी माता का निधन हो गया था। यह घटना पूरे स्कूल परिवार के लिए गहरे दुख का कारण बनी। इसी ने स्कूल प्रबंधन को यह निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
इस पहल के बारे में स्कूल की प्रबंधक निशा जायसवाल ने कहा हमारा उद्देश्य केवल बच्चों को शिक्षा देना नहीं है, बल्कि उनके और उनके परिवार की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देना है। हेलमेट पहनने की आदत न केवल जीवन की रक्षा करती है, बल्कि यह जिम्मेदार नागरिक बनने की ओर पहला कदम है। इस पहल के माध्यम से हम सड़क सुरक्षा के महत्व को हर व्यक्ति तक पहुंचाना चाहते हैं।
यह पहल न केवल स्कूल परिसर तक सीमित है, बल्कि यह समाज में एक नई सोच को जन्म देने का प्रयास है। स्कूल परिवार का मानना है कि यदि हर कोई सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करे, तो दुर्घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकता है।
स्कूल की अपील
स्कूल प्रबंधन ने सभी अभिभावकों, छात्रों और कर्मचारियों से अपील की है कि वे इस नियम का पालन करें और दूसरों को भी सड़क सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करें। हमें विश्वास है कि इस कदम से न केवल बच्चों और अभिभावकों का जीवन सुरक्षित रहेगाl बल्कि यह पहल समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने में भी सफल होगी।