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43वें भारतीय अन्तरराष्ट्रीय व्यापार मेला में झारखंड की कला और संस्कृति के मुरीद हुए दर्शक

  • झारखंड पवेलियन में खूब पसंद की जा रही है लाह की चूड़ियाँ

रांची/नई दिल्ली। किसी भी राज्य या देश के जनजीवन को समझना हो तो सबसे पहले उसकी कला और संस्कृति को समझना चाहिए। व्यापार मेले में झारखण्ड पवेलियन में इसकी जीती-जागती मिसाल देखने को मिल रही है। मेले में आने वाले दर्शक झारखण्ड पवेलियन में झारखंड की कला और संस्कृति से परिचित होने के साथ-साथ उसका हिस्सा बनना भी पसंद कर रहे हैं।
प्रगति मैदान में जारी 43वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में झारखण्ड अपनी कला और संस्कृति के चलते दर्शकों में काफी लोकप्रिय हो रहा है। पवेलियन में लाह की चूड़ियों को दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं| ख़ास कर महिलाएं लाह की बनी चूड़ियों एवं आभुषणों की खरीदारी कर रही हैं| मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड के अंतर्गत लाह हस्तशिल्प स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड के अध्यक्ष एवं पवेलियन में लाह की चूड़ियों के विक्रेता झाबरमल बताते हैं की झारखण्ड लाह उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान रखता है। उनकी संस्था 450 से अधिक महिलाओं को मिलाकर लाह की चूड़ियां एवं आभूषण बनाते हैं| उन्होंने बताया की उनके पास इस वर्ष व्यापार मेले में 50 रु से लेकर 2000 रु तक लाह की चूड़ियां उपलब्ध हैं|