रामगढ़l लोक आस्था और संस्कृति का घोतक चार दिवसीय छठ महापर्व के तीसरे दिन रामगढ़ जिला के नदियों एवं तालाब के घाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गयाl जिला का मुख्य रामगढ़ शहर के थाना चौक में स्थित दामोदर नदी के घाट पर हजारों की संख्या में लोगों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दियाl यहां छठ पूजा महासमिति थाना चौक द्वारा बढ़िया ढंग से व्यवस्था किया गया थाl स्थानीय पुलिस प्रशासन भी सक्रिय नजर आयाl रामगढ़ शहर के बिजुलिया तालाब,हरहरि नाला के अलावा दामोदर नदी के अन्य घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गयाl
छठ महापर्व के तीसरे दिन रामगढ़ जिला के सभी क्षेत्रों में स्थित नदियों डेम और तालाबों के घाटों पर बड़ी संख्या में छठव्रती पहुंचेl रामगढ़ शहर, ग्रामीण और कोयलांचल मैं छठ महापर्व की धूम दिखाई दीl वही रामगढ़ शहर के कई क्षेत्र में भगवान सूर्य की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की गईl छठ महापर्व को लेकर छठ पूजा समितियां शहर में जोरदार और आकर्षक विद्युत सज्जा करवाया हैl शहर के सड़कों के किनारे रंग बिरंगी विद्युत साज और आकर्षक गेट आकर्षण का केंद्र बने हुए हैंl
लोकआस्था और संस्कृति का घोतक है छठ महापर्व
भारतीय लोक परंपरा और लोकआस्था का महापर्व है छठ पूजा। सूर्य की उपासना और आराधना भारतीय संस्कृति की मूल आधार है। प्राचीन काल से ही सूर्योपासना भारत की सभ्यता और संस्कृति में रची – बसी है। इसके धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यता भी है जो इस पर्व को महान बनाता है । इसी मान्यता है कि जब श्रीराम रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापस लौट तो सीता माता ने भगवान भुवन भाष्कर के सम्मान में सूर्योपासना कर अर्घ्य दिया था । इसके अलावा जब पांडव जुए में अपना राजपाट तक हार गए थे तब द्रौपदी ने भगवान सूर्य की उपासना की थी तब पुनः उन्हें राजपाट वापस मिला था । ऐसी भी मान्यता है कि मां पार्वती ने भी छठ पूजा कर अपने पुत्रों के लिए भगवान सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त की थी। वैज्ञानिक मान्यता कहती है कि सूर्य संपूर्ण विश्व के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है इनकी आराधना -उपासना पृथ्वी के सभी जीवों की रक्षा और पोषण करने में सामर्थ्य है इस कारण से भी सूर्य को पूजा जाता है। इसकी किरणें समस्त रोगों के इलाज में सक्षम है जो रोगों का निवारण करती हैं।
सूर्योपासना की परंपरा इस सृष्टि में सदियों से निर्बाध रूप से चलती आ रही है जो समस्त जीव जगत के लिए कल्याणकारी और प्रभावशाली है। अतः जातिगत भाव से ऊपर उठते हुए समस्त प्राणियों को सूर्योपासना करनी चाहिए जिससे लोककल्याण की भावन प्रबल होगी। सूर्य को अर्घ्य देते हुए गायत्री मंत्र की जाप करना अत्यंत ही प्रभावशाली माना गया है।