- देश को मोदी की गारंटी पर विश्वास है,ना कि सत्ताधारी गठबंधन के एक वोट के बदले सात झूठ के वादों पर : प्रतुल शाहदेव
- झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 2019 के निश्चय पत्र में दिए गए अपने 114 वादों में एक भी पूरा नहीं किया
- पलामू,हजारीबाग और चाईबासा को उप राजधानी बनने की घोषणा हवा हवाई हो गई
- पिछले 5 वर्षों से लगातार छली गई जनता,हेमंत सरकार को बाहर का रास्ता दिखाएगी
रांचीlभाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने आज प्रदेश मुख्यालय में प्रेस वार्ता करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा,कांग्रेस,राष्ट्रीय जनता दल और माले के द्वारा के द्वारा संयुक्त रूप से जारी एक वोट,सात गारंटी पर बड़ा हमला किया । प्रतुल ने कहा कि देश की जनता को मोदी की गारंटी पर विश्वास है ना की सताधारी गठबंधन के एक वोट के बदले सात झूठ के वायदों पर। प्रतुल ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के 2019 के मेनिफेस्टो निश्चय पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने कुल 114 वायदे जनता से किए थे ।परंतु 5 वर्षों में इस सरकार ने एक वादे को पूरा नहीं किया।5 वर्षों तक ठगी गई जनता इस बार झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार को बाहर का रास्ता दिखाएगी।उन्हें इस ठगबंधन के झूठे वादों पर कतई विश्वास नहीं।
प्रतुल ने कहा था कि झारखंड 2019 में सरकार ने अपनी निश्चय पत्र में कहा था कि सरकार गठन के 2 साल के भीतर राज्य के खाली पड़े सभी सरकारी पदों पर नियुक्ति हो जाएगी।स्थिति यह है कि कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2,87,000 पद अभी भी खाली है। इन्होंने हर प्रखंड में नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की घोषणा की थी, ग्रामीण क्षेत्र के अभ्यर्थियों को नौकरी हेतु 10% अतिरिक्त अंक देकर मेरिट सूची बनाने की बात, हर प्रखंड में नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की बात ,5 वर्षों में 25 लाख रोजगार की बात, बेरोजगारों को ₹5000 और ₹7000 का प्रति महीना भत्ता देने का वादा किया था। इनके सारे वादे झूठे साबित हुए।
प्रतुल ने कहा कि 2019 के निश्चय पत्र के स्थानीय लोगों के अधिकार वाले अध्याय में भूमि अधिकार कानून बनाने की बात , रोजगार अधिकार कानून की बात,हर शहीद परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरियों में सीधी नियुक्ति हेतु कानून बनाने की बात ,झारखंड आंदोलन के शहीदों के परिजनों के लिए पेंशन योजना, आदि बनाने के लिए बड़ी घोषणा की थी।किसी एक को भी धरातल पर नहीं उतारा गया।
प्रतुल ने कहा निश्चय पत्र के महिलाओं के अधिकार अध्याय में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सभी आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, रसोईया को नियमित करने की बात कही थी।प्राथमिक से लेकर पीएचडी तक सभी प्रकार की शिक्षा बेटियों के लिए निशुल्क, हर अनुमंडल में महिला महाविद्यालय,हर गरीब परिवार की महिलाओं को ₹2000 प्रतिमाह चूल्हा खर्च, तीन लाख की आबादी पर एक महिला थाना की स्थापना की बात थी।सारी घोषणाएं हवा हवाई हो गई।
प्रतुल ने कहा कि निश्चय पत्र के गरीबों के अधिकार अध्याय में सभी गरीब परिवारों को ₹72000 की राशि हर वर्ष देने का ,तीन कमरों का आवास , वृद्धा पेंशन की राशि ₹2500 प्रतिमाह करने की बात थी।आज तक किसी को कुछ नहीं मिला। किसानों के अधिकार अध्याय में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने किसान बैंक की स्थापना की बात, 2700 रुपए एमएसपी की बात ,सिंचाई में उपयोग के लिए डीजल खरीद एवं बिजली की खपत पर अनुदान की बात ,बोरिंग से सिंचाई हेतु बिजली कनेक्शन मुफ्त देने की बात, हर प्रखंड में मॉडल किसान स्कूल खोलने की बात, खेतीहर और मजदूरों को कृषि कार्य के अलावा स्वरोजगार के लिए ₹15000 का अनुदान देने की बात कही थी। किसानों को भी सरकार ने ठग लिया।
प्रतुल ने कहा निश्चय पत्र के आदिवासी, दलित संरक्षण अध्याय में इन्होंने पेसा कानून को सख्ती से लागू करने का वादा किया था। आज तक नियमावली भी लागू नहीं हो पाया।आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को लागू करने की घोषणा, खनन नहीं पर्यटन की विकास नीति, वन पट्टा देने की प्रक्रिया को सरल बनाने की घोषणा ,ट्राइबल सब प्लान की राशि को दूसरे योजना में डाइवर्ट नहीं करने का संकल्प लिया था।परंतु यहां भी इन्होंने प्रदेश के आदिवासी, मूलवासियों के साथ साथ छल किया।
प्रतुल ने कहा निश्चय पत्र में इन्होंने शिक्षा एवं स्वास्थ्य में भी बड़ी-बड़ी घोषणाएं की थी।लेकिन आज भी 96% मिडिल स्कूलों में स्थाई प्रिंसिपल नहीं है। प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल के कुल शिक्षकों के 68% पद खाली है। 65,000 पारा शिक्षकों के लिए उनकी कोई घोषणा नहीं है। जबकि भाजपा ने इन पारा शिक्षकों को नियमित करने का वादा किया है। गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना के तहत सिर्फ 42 छात्रों को अब तक लाभ मिला है जबकि 40,000 विद्यार्थियों ने आवेदन दिया था।
प्रशासनिक सुधार के तहत पलामू, चाईबासा और हजारीबाग को उप राजधानी बनाने की बड़ी घोषणा थी। आज तक इस संबंध में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा गया। रिश्वतखोरी पर लगाम लगाने की बात थी। पर पूरी की पूरी सरकार ही रिश्वतखोरी में लगी रही। अधिवक्ताओं के हितों के रक्षा का संकल्प था। परंतु 70% अधिवक्ताओं को सरकार ने अपनी योजना से बाहर रखा। अनुबंधकर्मी शब्द समाप्ति की घोषणा निश्चय पत्र में थी।सबको स्थाई नौकरी देने की बात थी। लेकिन सरकार इस मुद्दे पर मौन रही ।जबकि भाजपा ने वादा किया है कि सत्ता में आने के बाद सभी अनुबंध कर्मियों को स्थाई बनाएगी।
प्रतुल ने कहा कि इनके झूठे वादों से 2019 में छली गई जनता 2024 में इन्हें बाहर का रास्ता दिखाएगी। 23 नवंबर को झारखंड के इतिहास के सबसे भ्रष्ट सरकार का सूर्यास्त हो जाएगा।आज की प्रेस वार्ता में सह मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाइक भी उपस्थित थें।