रांची l झारखंड में पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के साथ बड़ा खेल हो गया है। यहां कुछ ऐसा हुआ हैlजिसे कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपाई सोरेन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। दरअसल भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन का नाम सुर्खियों में है।
झामुमो में दूसरे नंबर के नेता रहे चंपाई को भाजपा की सूची में 27वें नंबर पर रखा गया है। भाजपा ने झारखंड के 6 नेताओं को चंपाई से ऊपर रखा है। जिसके बाद तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। कोल्हान की राजनीति में चंपाई को टाइगर भी कहा जाता है। कोल्हान चंपाई सोरेन का गढ़ माना जाता है। लेकिन शेर को पीछे धकेला जा रहा है। चंपाई का नाम 27वें नंबर पर रखे जाने के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा पूर्व सीएम से दूरी बनाने की कोशिश कर रही है या चंपई को पीछे रखकर कोई संदेश देने की कोशिश कर रही है?
भारतीय जनता पार्टी ने चंपाई से ऊपर जिन नामों को अहमियत दी है, उनमें झारखंड के 6 नेता शामिल हैं। चंपई से ऊपर पूर्व सीएम बाबू लाल मरांडी, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा, नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, केंद्रीय मंत्री संजय सेठ और पूर्व सांसद रवींद्र राय के नाम हैं। चंपई के नीचे किसी पूर्व मुख्यमंत्री का नाम नहीं है। वर्तमान में भाजपा में 4 पूर्व मुख्यमंत्री राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। इनमें चंपई सोरेन, अर्जुन मुंडा, बाबू लाल मरांडी और मधु कोड़ा शामिल हैं। जिन नेताओं के नाम चंपई के नीचे हैं, वे सभी झारखंड भाजपा में दूसरे दर्जे के नेता माने जाते हैं। चुनाव से पहले चंपई सोरेन भाजपा के पोस्टरों से भी गायब हो गए थे। भाजपा ने बदलाव को लेकर जो पोस्टर जारी किया था, उसमें अमर कुमार बाउरी, बाबू लाल मरांडी और अर्जुन मुंडा की ही तस्वीरें थीं।
टिकट वितरण में भी चंपाई हुए चित
टिकट बंटवारे में भी चंपई को ज्यादा तवज्जो नहीं मिली है। कहा जा रहा है कि भाजपा आलाकमान ने कोल्हान की 14 सीटों में से सिर्फ 3 पर ही चंपई की पसंद को स्वीकार किया है। संथाल और अन्य जगहों पर चंपई अपने लोगों को टिकट नहीं दिला पाए। शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन भी चंपई के साथ थीं, लेकिन उन्हें उनकी पसंद की जामा सीट नहीं मिली। भाजपा ने सीता को जामताड़ा भेज दिया।
क्यों किनारा कर रही बीजेपी?
चंपई के भाजपा में शामिल होने पर पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उनका धूमधाम से स्वागत किया। भाजपा चंपई को तोड़कर कोल्हान में खेल खेलने का दावा कर रही थी, लेकिन अब पार्टी चंपई से किनारा करती दिख रही है। कहा जा रहा है कि चंपई भाजपा के लिए एसेट से ज्यादा बोझ साबित हो रहे हैं। दरअसल, जब चंपई आए थे, तब भाजपा को उम्मीद थी कि झामुमो पूर्व मुख्यमंत्री को तोड़कर कुछ बड़े नेताओं को अपने साथ ले आएगा।