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मूलवासी सदानों की राजनीतिक पार्टी नहीं बनना राजनीतिक भूल: राजेन्द्र

  • आरक्षित सीटों में भी जीताने- हारने में होगी सदानों की निर्णायक भूमिका
  • 27 अक्टूबर को होगी बैठक

रांचीlमूलवासी सदान मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि 30 पुर्व मूलवासी सदानों, की राजनीति पार्टी बन गई होती तो आज मूलवासी सदानों से आने वाले अगड़ी, पिछड़े, और दलितों को झारखण्ड में राजनीतिक भागीदारी लेने से कोई रोक नहीं सकता था। राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि राजनीति भागीदारी के लिए पार्टी बनाने की बात हुई थी। लेकिन हम लोगों ने यह सोंच कर समाजिक संगठन रहने दिया कि इसमें सभी दलों के लोग शामिल रहेगें और मूलवासी सदानों की बातों को वे अपने -अपने पार्टी रखेगें, और उपेक्षित सदानों से आने वाले समुदाय के पिछड़ों दलितों सवर्णों को की अधिकारों की बात करने वाले लोगों को भी राजनीतिक दल लोकसभा और विधानसभा में प्रत्याशी बनाएंगें ऐसी सोंच हमारे वरिष्ठ नेताओं का मानना था। लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। कहा अब मूलवासी सदानों को लगने लगा है कि मूलवासी सदानों की राजनीतिक पार्टी बननी चाहिए। राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि हमारे सदान के अगुआ रहे स्व श्रद्धेय डॉ आर पी साहू जी ,का यही विचार था कि सदानों का राजनीति पार्टी होना चाहिए। जिससे लोकसभा और विधानसभा में हमारा सदानों का प्रतिनिधित्व हो सके। हमारे वरिष्ठ सलाहकार, झारखण्ड आन्दोलनकारी क्षितीश कुमार राय ने पहल इस दिशा में पहल किया था। लेकिन मां. शिबू सोरेन जी, के आग्रह पर सदानों की पार्टी नहीं बन पाई। झारखण्ड में राजनीतिक पार्टी के नाम पर वैसे राजनीतिक दलों को भाजपा और महागठबंधन, गठबंधन में शामिल कर टिकट दे रही है, जिसका झारखण्ड में कोई जनाधार नहीं है। 65% मूलवासी सदान के दम पर राजनीतिक दल अपनी सरकार बनाते हैं। लेकिन सामाजिक संगठन होने के नाते राजनीतिक दल के लोग इसे मूलवासी सदानों को तरजीह नहीं दे रहे हैं। राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि 27 अक्टूबर को मूलवासी सदान मोर्चा की बैठक रांची में होगी और विधानसभा चुनाव को लेकर निर्णय लिया जाएगा की किसी दल को समर्थन करना है या नहीं।