- राहुल गांधी का सम्मेलन संविधान बचाओ है या परिवार बचाओ : अजय साह
- “मनुस्मृति के खिलाफ लड़कर क्या शरिया क़ानून लाना चाहते हैं राहुल गांधी? : अजय साह”
- राहुल गांधी पर भाजपा का हमला: ‘संविधान बचाओ’ या सत्ता बचाओ?
- संविधान बचाने की लड़ाई या परिवार बचाने की लड़ाई? भाजपा ने कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठाए
- राहुल गांधी और संविधान बचाओ सम्मेलन: भाजपा ने राजनीतिक एजेंडा बताया
रांचीlभाजपा ने राहुल गांधी के रांची में आयोजित ‘संविधान बचाओ सम्मेलन’ में भाग लेने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राहुल गांधी को इस सम्मेलन में भाग लेने से पहले 42वें संविधान संशोधन का गहन अध्ययन करना चाहिए। अगर ज़रूरत हो तो ऐसे किसी कार्यक्रम में जाने से पहले 42वें संविधान संशोधन की एक कॉपी भाजपा कार्यालय से ले ले। उनके अनुसार, यह संशोधन भारतीय संविधान पर कांग्रेस द्वारा किया गया सबसे बड़ा और विवादास्पद हमला था, जिसे संवैधानिक विशेषज्ञ “मिनी संविधान” की संज्ञा देते हैं।
42वां संविधान संशोधन, जिसे इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान 1976 में लागू किया था, भारतीय संविधान के मूल ढांचे पर एक कड़ा प्रहार था। इस संशोधन के तहत न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सीमित किया गया और केंद्र सरकार की शक्तियों को बढ़ाया गया। भाजपा का तर्क है कि इस संशोधन ने संविधान की आत्मा को नुकसान पहुँचाया था और इसे बचाने की आड़ में कांग्रेस ने उस समय अपनी सत्ता को स्थायी बनाने के प्रयास किए थे। भाजपा का यह भी कहना है कि इस ऐतिहासिक सच्चाई से जनता को अवगत कराना राहुल गांधी की जिम्मेदारी है, खासकर जब वे संविधान बचाने का दावा कर रहे हैं।
अजय साह ने आगे कहा कि राहुल गांधी को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) वास्तव में संविधान बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं या फिर अपने-अपने राजनीतिक परिवारों की विरासत को बचाने के प्रयास कर रहे हैं। भाजपा ने यह सवाल भी उठाया है कि क्या ये दल संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखते हैं, या केवल सत्ता की राजनीति कर रहे हैं। श्री साह ने कहा कि राहुल गांधी जी ने अपने भाषण में कहा कि उनकी स्कूलिंग हिंदुस्तान में हुई है और उन्होंने अपने स्कूली शिक्षा में कभी भी आदिवासी, दलित, ओबीसी के बारे में नहीं पढ़ा, तो क्या राहुल अपने पूर्वजों पर सवाल उठा रहे है जिन्होंने अपने वक़्त में आदिवासी दलितों को छोड़ कर स्कूल की किताबों में बस गांधी परिवार का महिमामंडन किया? जिनकी सरकार ने कभी यह कहा था कि देश के संसाधनों पर सबसे पहला हक़ मुस्लिमों का है वो आज आदिवासी दलितों के हिमायती होने का ढोंग कर रहे है।
श्री साह ने कांग्रेस पर 74वें संविधान संशोधन के कार्यान्वयन में असफल रहने का भी आरोप लगाया, जिसके तहत नगर निकाय चुनावों को हर पाँच साल में कराना अनिवार्य किया गया था। उन्होंने कहा कि पिछले पाँच सालों में कई जगहों पर नगर निकाय चुनाव नहीं कराए गए हैं, और यह एक बड़ा सवाल है, जिसका जवाब राहुल गांधी को देना चाहिए। इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा ने यह स्पष्ट किया कि अगर राहुल गांधी और उनकी पार्टी संविधान के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता रखते, तो इस तरह के मुद्दों पर ध्यान दिया होता। राहुल गांधी को झारखंड की जनता ने पाँच साल कार्य करने का वक़्त दिया, परंतु राहुल गांधी यहाँ सत्ता मिलने के बाद पाँच साल ग़ायब रहे और अब वापस से ढोंग यात्रा पर आ रहे है । कुल मिलाकर भाजपा ने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि ‘संविधान बचाओ सम्मेलन’ के नाम पर हो रही इस पहल के पीछे असल मंशा क्या है, यह जनता को समझना चाहिए। उनके अनुसार, यह महज एक राजनीतिक रणनीति है, जिसमें संविधान का नाम लेकर सत्ता में वापसी के प्रयास किए जा रहे हैं, जबकि कांग्रेस का खुद का इतिहास संविधान को कमजोर करने वाला रहा है। श्री साह ने कहा कि राहुल गांधी ने कहा कि उनकी लड़ाई मनुस्मृति के ख़िलाफ़ है, तो क्या कांग्रेस अब भारत में शरिया क़ानून लाना चाहती है?