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श्री दशलक्षण पर्व के सातवें एवं आठवें दिन उत्तम तप एवं त्याग की हुई पूजा

रामगढ़l शहर के में रोड में स्थित श्री उत्तम तप एवं त्याग की पूजा की गईlदिगंबर जैन मंदिर में दसलक्षण पर्व के सातवें दिन उत्तम तप एवं आठवें दिन त्याग का पूजा किया गया।जलाभिशेक विनोद पहाड़िया, पंकज पहाड़िया, सैलेश सेठी,देवेंद्र गंगवाल, ललीत गंगवाल,हीरालाल पाटनी,राजेंद्र पाटनी,हरक चंद अजमेरा,विवेक अजमेरा,नितिन पाटनी,हीरामणि देवी चूड़िवाल, मंगीलाल चूड़ीवाल,इंद्रमणि देवी चूड़िवाल,आशीष जैन,राजेंद्र चूड़ीवाल, जीवनमल पाटनी,शांतिधारा हीरालाल पाटनी,राजेंद्र पाटनी,आशीष जैन,जीवनमल पाटनी,जंबू पाटनी,हरक चंद अजमेरा ,विवेक अजमेराl
उत्तम तप धर्म आत्म शुद्धि के लिये इच्छाओं का रोकना तप हैlमानसिक इच्छायें साँसारिक बाहरी पदार्थों मैं चक्कर लगाया करती हैं अथवा शरीर के सुख साधनों में केन्द्रिय रहती हैं। अतः शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिये बहिरंग तप किये जाते हैं और मन की वृत्ति आत्म-मुख करने के लिये अन्तरंग तपों का विधान किया गया है। दोनों प्रकार के तप आत्म शुद्धि के अमोध साधन हैं।
बहिरंग तप:-शरीर को प्रमाद से दूर रखने के लिये जो बहिरंग तप बतवाये गये हैं वे ६ हैं- १ अनशन, २ ऊनोदर, ३ व्रतपरिसंख्यान, ४ रस परित्याग, ५, विविक्तशयनासन, ६ कायक्लेश।
अनशन पांच इन्द्रियों के विषयों के भोगने का तथा क्रोध आदि कषाय भावों के त्याग के साथ जो आठ पहर के लिये सब प्रकार के भोजन का त्याग किया जाता है उसको अनशन या उपवास कहते हैं।समाज उपाध्यक्ष अरविंद सेठी,नरेंद्र छाबड़ा ,देवेंद्र गंगवाल ने बताया कल नोवे दिन उत्तम अकिंचन धर्म की पूजा होगी।