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श्री 10 लक्षण पर्व के तीसरे दिन दिगंबर जैन मंदिर और श्री पारसनाथ जिनालय मैं उत्तम आर्जव धर्म की हुई पूजा

रामगढ़l श्री दिगंबर जैन मंदिर रामगढ़ और रांची रोड स्थित श्री पारसनाथ जिनालय मे दसलक्षण पर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म का पूजा पुरे विधि विधान के साथ हुआl
जलाभिषेक रामगढ़ राकेश पांड्या, श्रीमति सरोज पांड्या,विनय जैन, मिथलेश जैन,अशोक काला, अमित काला,उषा अजमेरा,मयंक अजमेरा, श्रीमति अरुणा जैन,डॉ शरद जैन,रांची रोड सुरेश सेठी,शांतिधारा रामगढ़ पदम चंद जैन सुमत जैन,रांची रोड पदम सेठी,संध्या महाआरती रामगढ़ टीकमचंद जैन बागरा,अनिल बागरा परिवार के द्वारा किया गयाl
पण्डित रमेश जैन शास्त्री जी, राजेश जैन , पंकज जैन ने बताया कि उत्तम आर्जव ऋजोर्भावः इति आर्जवः‘‘ – अर्थात्-आत्मा का स्वभाव ही सरल स्वभाव हैl इसलिये प्रत्येक प्राणी को सरल स्वभाव रखना चाहियें। यह आत्मा अपने सरल स्वभाव से च्युत होकर पर-स्वभाव में रमते हुए कुटिलता से युक्त ऐसे नरक, तिर्यंच, मनुष्य और देव इन चारों गतियों में भ्रमण करते हुए टेढ़ेपन को प्राप्त हुआ हैं। इसके इस स्वभाव के निमित्ति से यह आत्मा दिखावट, बनावट, छल, कपट और पापाचार इत्यादि को प्राप्त होकर आप दूसरों के द्वारा ठगाने वाला हुआ है।
जब यह आत्मा मन, वचन, काय से सम्पूर्ण पर-वस्तु से विरक्त होकर अपने आप में रत होता है तब यह जीवात्मा अपने सरल स्वभाव को प्राप्त होकर पर-वस्तु से भिन्न माना जाता है तभी यह सुखी हो जाता है। उत्तम आर्जव धर्म: धर्म का श्रेष्ठ लक्षण आर्जव है। आर्जव का अर्थ सरलता है। मन-वचन-काय की कुटिलता का अभाव वह आर्जव है। कपट सभी अनर्थों का मूल है ; प्रीति तथा प्रतीति का नाश करने वाला है। कपटी में असत्य, छल,निर्दयता, विश्वासघात आदि सभी दोष रहते हैं। कपटी में गुण नहीं किन्तु समस्त दोष रहते हैं।मायाचारी यहाँ अपयश को पाकर फिर नरक-तिर्यंचादि गतियों में असंख्यातकाल तक परिभ्रमण करता है।मायाचार रहित आर्जवधर्म के धारक में सभी गुण रहते हैं।समस्त लोक की प्रीति तथा प्रतीति का पात्र होता है। परलोक में देवों द्वारा इंद्र-प्रतीन्द्र आदि होता है।अतः सरल परिणाम ही आत्मा का है। मौके पर समाज अध्यक्ष मानिक चंद जैन एवम मंदिर मंत्री देवेंद्र गंगवाल ने बताया की कल उत्तम शौच धर्म का पूजा किया जायेगाl