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हेमंत सोरेन की न्यायिक हिरासत 14 दिन बढ़ी,21 मार्च तक जेल में रहेंगे

रांचीlझारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब 21 मार्च तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे। सुनवाई के दौरान आज कोर्ट ने 14 दिनों के लिए उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी है। गौरतलब है कि न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने पर आज हेमंत सोरेन को कोर्ट में पेश किया गया। वहीं उनके साथ भानु प्रताप प्रसाद की भी न्यायिक हिरासत बढ़ायी गयी। बता दें कि जमीन घोटाले से जुड़े मनी लाउंड्रिंग केस में दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

हेमंत सोरेन जमीन घोटाले में हुए हैं गिरफ्तार

झारखंड के पूर्व सीएम व झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन जमीन घोटाला मामले में गिरफ्तार किए गए हैं. हेमंत सोरेन की हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद आज उन्हें प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंडरिंग एक्ट (पीएमएलए) कोर्ट में पेश किया गया. पीएमएलए कोर्ट के जज ने हेमंत सोरेन की न्यायिक हिरासत की अवधि 21 मार्च तक के लिए बढ़ा दी है.

31 जनवरी की रात को हेमंत सोरेन किए गए थे गिरफ्तार

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले में 31 जनवरी की रात को गिरफ्तार किया था. इसके पहले हेमंत सोरेन ने राजभवन जाकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, हेमंत सोरेन ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था और कहा था कि जिस जमीन के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है, अगर कोई साबित कर दे कि यह जमीन उनके नाम पर है, तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे.

रांची की होटवार जेल में हैं हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन फिलहाल रांची की होटवार जेल में हैं. पिछले दिनों पढ़ने के लिए उन्होंने किताबें मंगायी थीं. उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने अपने जन्मदिन पर उनसे मुलाकात की और पुस्तकें दीं. हेमंत सोरेन ने झारखंड आंदोलन का दस्तावेज, शोषण, संघर्ष और शहादत, भारत का संविधान एक परिचय एवं पूअर इकोनॉमिक्स पुस्तक मंगायी थी. इसकी जानकारी कल्पना सोरेन ने सोशल मीडिया के माध्यम से दी थी. उन्होंने लिखा था कि हेमंत जी ने पढ़ने के लिए किताबें मांगी हैं. उन्हें यह किताबें देने जाऊंगी. इससे पहले भी हेमंत जी ने झारखंड आंदोलन, मुंडारी, हो और कुड़ुख भाषा, आदि से जुड़ी किताबें पढ़ने के लिए मंगायी थीं. हेमंत जी को किताबें पढ़ने का हमेशा से शौक रहा है. वह घर में अपनी किताबों को संजो कर रखते हैं. अन्य किताबों के साथ-साथ झारखंड और झारखंड आंदोलन से जुड़ी किताबें वह हमेशा विशेष रुचि लेकर पढ़ते हैं. झारखंड की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने उनसे मिलने वाले लोगों से बुके नहीं, बल्कि बुक देने की अपील की थी.