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मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन का कैबिनेट विस्तार कल

  • पांचवें मंत्री पद पर कांग्रेस का जेएमएम से डिमांड
  • जेएमएम से सुदिव्य सोनू का मंत्री बनना तय

रांचीl जमीन घोटाले में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद से राज्य में उठे राजनीतिक उठापटक पर 2 फरवरी को चंपाई सोरेन के मुख्यमंत्री पद का शपथ लेने के बाद से विराम लग गयाlलेकिन कैबिनेट विस्तार को लेकर अभी भी रस्साकसी जारी हैl हालांकि आज गुरुवार की शाम तक इस पर भी विराम लग जायेगाlक्योंकि शुक्रवार को राजभवन में सभी मंत्री के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन होना हैl

पांचवें मंत्री पद को लेकर कांग्रेस कर रही जेएमएम से डिमांड

हेमंत सरकार के चार साल के कार्यकाल में 12वें मंत्री का पद खाली पड़ा था. लेकिन गठबंधन सरकार के नेता को बदलने के बाद अब कांग्रेस की ओर से पांचवें मंत्री पद की दावेदारी की जा रही है. पार्टी का आलाकमान इसपर मुहर भी लगाने की तैयारी में जुटा हुआ है. मिल रही जानकारी के मुताबिक पांचवां मंत्री अगर कांग्रेस कोटे का होता है, तो महगामा विधायक दीपिका सिंह पांडेय का नाम सबसे ऊपर चल रहा है. क्योंकि विधायक दीपिका सिंह मंत्री के सभी अहर्ता को पूरा कर रही है. इसके साथ ही खिजरी विधायक राजेश कच्छप और बेरमो विधायक कुमार जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह भी मंत्री बनने की रेस में शामिल है. हालांकि इनमें से एक नाम पर पार्टी के केंद्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल को अंतिम मुहर लगानी बांकी है.

पहले के चार मंत्री को बदलने के मूड में नहीं है कांग्रेस

पूर्व में हेमंत सरकार में शामिल चार मंत्रियों को बदलने के मूड में कांग्रेस नहीं दिख रही है. इसके पीछे आगामी लोकसभा चुनाव को देखा जा रहा है. लेकिन वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का सरकार में कद छोटा करने के साथ पार्टी के विधायक दल नेता आलमगीर आलम को उप मुख्यमंत्री के साथ सरकार में कद बढ़ाने की तैयारी में है.

चंपाई सरकार में सुदिव्य सोनू मंत्री और बसंत सोरेन होंगे दर्जा प्राप्त मंत्री

चंपाई सरकार में गिरिडीह से विधायक सुदिव्य सोनू का मंत्री बनना करीब-करीब तय हो गया है. सुदिव्य सोनू को मंत्री बनने का सुझाव जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने खुद दिया है. इसके साथ ही हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन को सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री पद दिया जायेगा. इसके साथ ही अगर गांडेय विधानसभा सीट पर उपचुनाव होता है. हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का उपचुनाव लड़ना तय है और उसके बाद सरकार ने शामिल किया जाएगा.

स्टीफन मरांडी सरकार में शामिल होने की जाता चुके है इच्छा

स्टीफन मरांडी 1978 से राजनीति कर रहे हैं. मरांडी 1980 में झामुमो के टिकट पर दुमका सीट से पहली बार विधायक बने. स्टीफन मरांडी 1985, 1990, 1995 और 2000 के चुनाव में भी झामुमो के टिकट पर लगातार पांच बार चुने गए. 2005 में झामुमो ने मरांडी का टिकट काटकर हेमंत सोरेन को पहली बार इस क्षेत्र से मैदान में उतारा. 2005 में मरांडी निर्दलीय मैदान में उतरे और विजयी हुए. महेशपुर सीट पर 53 फीसदी से भी ज्यादा वोटर्स आदिवासी हैं. आदिवासी वोटर्स यहां निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. इस बार बीजेपी और झामुमो के बीच सीधी टक्कर नजर आ रही है. इस सीट पर कुल 8 प्रत्याशी मैदान में थे. कुल मिलाकर देवीधन बेसरा को छोड़ कर महेशपुर विधानसभा सीट पर अब तक कोई एक उम्मीदवार लगातार दूसरी बार विधायक नहीं बना है. 1962 के विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक के चुनाव परिणाम के विश्लेषण से यह साफ हो जाता है कि इस क्षेत्र की जनता ने लगातार प्रत्याशी बदले हैं.