रांचीl अंतरिम बजट पर झारखंड प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि बजट सिर्फ झूठ का पुलिंदा है और कोई सारगर्भित बात नहीं की गयी है। बजट भाषण में इन्फ्रास्ट्रक्चर में तेज विकास बताया जबकि वस्तुस्थिति यह है कि 837 इन्फ्रास्ट्रक्चर औसतन 37 महीने के विलंब से चल रहे, जबकि कुछ प्रोजेक्टस तो 59 महीने के विलंब से है। संसद में पूछे गये प्रश्न में सांख्यिकी मंत्रालय के लिखित उत्तर में यह बात कही गई थी। इसी तरह भाषण में रोजगारों की वृद्धि पर कहा कि EPFO के आंकड़ों में नवम्बर महीने में 5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई और यह गिरावट पिछले चार महीने से जारी है। ये आंकड़े भी सांख्यिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किया गया है। पिछले 10 सालों में सरकार ने जितने वादे किए गए, उनमें से कितने पूरे हुए? कितने बाक़ी हैं? बजट में उन वादों का कोई ज़िक्र नहीं था। सालाना 2 करोड़ नौकरियाँ, किसानों की आय दोगुनी करना, 2022 तक सभी को पक्का घर, 100 SMART CITIES, ये सभी वादें आज तक पूरे नहीं हुए।
2014 में जो कृषि विकास दर 4.6% था, वो इस साल 1.8% कैसे हो गया। UPA के दौरान हमारी खेती 4% औसत से बढ़ती थी, वो आधा क्यों हो गया? क्यों 31 किसान हर रोज़ आत्महत्या करने पर मजबूर हैं?
2014 में शिक्षा का बजट जो कुल बजट का 4.55% था, वो गिरकर 3.2% कैसे हो गया? SC, ST, OBC & MINORITY WELFARE का कुल बजट की तुलना में share लगातार क्यों गिर रहा है?
अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने अंतरिम बजट को चुनावी एजेंडा सेट करने वाला कॉरपोरेट फ्रेंडली बजट बताया है।
प्रदेश कांग्रेस मीडिया चेयरमैंन सतीश पॉल मुंजनी ने कहा कि बजट में चुनाव का एजेंडा सेट किया गया है, जिसमें वित्त मंत्री ने प़ढ़ा कि लोगों की आय बढ़ी है, जबकि देश की अर्थव्यवस्था में खपत खर्च (कंजम्पषन एक्सपेंडीचर) में पछिले वित्तीय वर्ष में 7.5 प्रतिषत से कम होकर 4.4 प्रतिशत रह गयी है, जो यह बताती है कि उपभोक्ता की आय घटी है और खर्चे में वह आर्थिक तंगी झेल रहा है।
कारपोरेट क्षेत्र से सरकार ने 9.22 लाख करोड़ रूपये की रेवेन्यू पाता है और व्यक्तिगत आयकर दाता से 10.22 लाख करोड़ रूपये राजस्व मिलता है। आम आयकर दाता ठगा महसूस कर रहा है, क्योंकि छूट और रियायतों के लिये सरकार ने कारपोरेट को चुना है।