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अनाधिकृत निर्माण के नियमितीकरण कार्यशाला में बोले सांसद संजय सेठ

भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराने की प्रक्रिया को सरल बनाएं

भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली परिपाटी अच्छी नहीं

रांची के पुराने भवनों को व्यावसायिक और आवासीय गतिविधियों हेतु स्वीकृति दें

रांची। अनधिकृत निर्माण के नियमितीकरण योजना को अंतिम रूप देने के लिए झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग के द्वारा आज एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में आम नागरिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। रांची के सांसद संजय सेठ ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि अनाधिकृत निर्माण का नियमितीकरण हो, इस दिशा में हम सब को सार्थक पहल करनी चाहिए और उसे धरातल पर उतारना चाहिए। बेवजह शहर के नागरिकों को, व्यवसायियों को परेशान नहीं करना चाहिए। सांसद ने दो टूक शब्दों में कहा की अन्य शहरों की तर्ज पर रांची में कई ऐसे पुराने भवन है या क्षेत्र है, जहां पिछले कई वर्षों से व्यवसायिक गतिविधियां भी चलती है और आवासीय परिसर भी है, इन्हें मिक्स उपयोग का छूट देना चाहिए। नियम कानून बनाकर बेवजह उलझाने की प्रवृत्ति छोड़नी चाहिए।सांसद ने कहा कि किसी भी शहर के सुनियोजित विकास के लिए मास्टर प्लान के आधार पर भवनों का निर्माण आवश्यक है।लेकिन रांची में नक्शे पास करने की प्रक्रिया हमेशा से पेचीदा रहा है। नक्शा पारित करने में काफी अनियमितता और भ्रष्टाचार देखा गया। यही कारण है कि रांची में काफी मकान और व्यवसायिक भवन अनधिकृत निर्माण की श्रेणी में आ गए।
श्री सेठ ने कहा कि विकास के नाम पर ऐसे भवनों को हटाना न्यायसंगत नहीं है। इसलिए उन्हें नियमित करने की दिशा में गंभीर प्रयास होना चाहिए।
सांसद ने चिंता जताते हुए कहा कि राजधानी बनने के कारण रांची में आबादी बढ़ी, लोगों की जरूरतें बढ़ी है। अभी भी रांची में मास्टर प्लान के अनुसार काम नहीं हो रहा। खेतों में भी मकान बन रहे हैं। बड़ी बड़ी कॉलोनी बस रही है। अगर सरकार योजनाबद्ध तरीके से कार्य नहीं करा सकेगी तो लोग अपनी जरूरत के हिसाब से काम करेंगे।
इसलिए मास्टर प्लान, लेआउट और बिल्डिंग बायलॉज के आधार पर भवन निर्माण होना जरूरी है। सड़कें चौड़ी हो और नाली के लिए भी अच्छी व्यवस्था हो। यह सुनिश्चित करना नगर विकास विभाग का काम है।
सांसद ने कहा कि नगर विकास योजना को ध्यान में रखने के बदले जमीन के मालिकाना और खतियान संबधी कागज जैसे मामलों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, यह बेवजह उलझाने की प्रवृति समाप्त करनी होगी।
सांसद ने स्पष्ट कहा कि जमीन के कागजात के नाम पर अनावश्यक जटिलता पैदा करके नक्शे को स्वीकृति देने में भ्रष्टाचार और विलंब होता है। इसके कारण लोग बिना नक्शा पास कराए, भवन निर्माण करने को विवश होते हैं। भवनों का नक्शा पारित करने की प्रक्रिया बेहद आसान करनी चाहिए।

श्री सेठ ने कहा कि रांची के हजारों पुराने भवन मालिकों के पास उनके पुराने नक्शे नहीं हैं। जबकि वे लगातार होल्डिंग टैक्स भी दे रहे हैं। नगर निगम के पास उन लोगों का रिकॉर्ड होगा। अगर कोई भवन सरकारी जमीन पर नहीं बना है, तो उसे सेल्फ डिक्लेरेशन के आधार पर रेगुलराइज करना चाहिए।

 

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