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भारत सरकार द्वारा एमएसपी सहित अन्य मुद्दों पर बनाई गई कमेटी से किसान संगठन अलग रहेंगे : अतुल कुमार अनजान

नई दिल्ली। विगत 3 वर्षों से किसानों द्वारा अपनी मांगों को लेकर चलाए जा रहे देशव्यापी संघर्ष ने सारे देश और दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था । 13 महीने तक संसद के सामने दिल्ली क्रूच करने के लिए जाते हुए किसानों ने दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा डाल दिया था। 13 माह तक धरना देते हुए लाखों पुरुष, स्त्री, नौजवान किसानों ने जाड़ा, गर्मी ,बरसात लाखों किसानों ने जाड़ा गर्मी बरसात को झेला। केंद्र की मोदी सरकार की पुलिस द्वारा लाठीचार्ज, आंसू गैस ,पानी की बौछार सहित सरकार ने हर तरह की दमनात्मक कार्यवाही का सहारा लिया ।रोड पर बंकर और किलो को गाड़ दिया गया। आपकी किसान प्रदर्शनकारी आवाजाही बंद करें। बावजूद इसके किसान अपने आंदोलन के प्रति लड़ाकू तेवर के साथ डटे रहे । लगभग 750 किसानों ने अपनी शहादत दी 80000 किसानों के ऊपर राज्य सरकारों ने गंभीर धाराओं में गंभीर धाराओं में मुकदमे कायम किए जो आज भी चल रहे है । इस ऐतिहासिक किसान आंदोलन को ग्रामीण भारत, ट्रेड यूनियंस नौजवान , छात्र, संगठनों , महिला संगठनों , राज्य कर्मचारियों के संगठनों, लेखक पत्रकारों ,कलाकारों ने व्यापक समर्थन दिया। यहां तक की गायको और फिल्मी कलाकारों ने खुलकर आजादी के बाद के इस अभूतपूर्व आंदोलन को अपना समर्थन दिया । अंततः जनवरी 2022 में केंद्र सरकार ने आंदोलनरत किसान संगठनों से लिखित समझौता किया जिसके तहत आंदोलन को स्थगित किया गया। इससे पूर्व किसानों की प्रमुख मांगों में से एक केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि काले कानूनों को नवंबर 2020 में वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री को विवश होना पड़ा । अन्य मांगों विशेषकर सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदारी, किसानों के ऊपर सभी सरकारी और सहकारी कर्ज की माफी, खेती को लाभकारी बनाने, खेती में प्रयुक्त होने वाली सामग्री पर सब्सिडी दिए जाने और उन पर से जीएसटी हटाने सहित अन्य मांगों के संबंध में सरकार ने वादा किया की एक महीने में कमेटी बना दी जाएगी , परंतु वह कमेटी नहीं बनाई गई । अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव एवं राष्ट्रीय किसान आयोग (स्वामीनाथन कमीशन ) के पूर्व सदस्य अतुल कुमार अनजान ने को मंगलवार 19 जुलाई 2022 को सरकार द्वारा गठित कमेटी को आंख में धूल डालने वाला बताया। किसानों की प्रमुख समस्याओं को दरकिनार कर सिर्फ एमएसपी का सवाल जोड़ दिया एवं इस समिति में 26 सदस्यों को नामित किया गया है। 3 सदस्य संयुक्त किसान मोर्चा के भी जुड़े जाने का प्रावधान दिया गया है। 26 सदस्यों में पांच गैर सरकारी सदस्य किसान संगठनों के नाम पर सरकार ने नामित किए हैं ।वह सभी सदस्य तीनों कृषि काले कानूनों का समर्थन करते थे और भाजपा और आरएसएस से संबंधित किसान संगठन चलाते हैं। ऐसी स्थिति में यह समिति किसान आंदोलन के साथ और सरकार से हुए समझौते के साथ क्रूर मजाक है । इसलिए सभी अखिल भारतीय किसान संगठनों की ओर से सभी संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चे को निर्देश दिया है कि वह इस सरकारी समिति में अपने किसी भी सदस्य को नामित नहीं करें ।आने वाले दिनों में सरकार की वादा खिलाफी के खिलाफ स्थगित आंदोलन को चलाने के लिए व्यापक विचार विमर्श किसान संगठन करेंगे।

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