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श्री दिगंबर जैन मंदिरों में सातवें दिन उत्तम तप धर्म की हुई पूजा

  • आत्म शुद्धि के लिए इच्छाओं को रोकना तप है

रामगढ़। श्री दिगंबर जैन मंदिर एवं श्री पारसवनाथ जिनालय मै दसलक्षण पर्व के सातवाँ दिन उत्तम तप धर्म का पूजा पुरे विधि विधान के साथ किया गया।पंडित सुदेश जी जैन द्वारा विधि सम्मत पूजा कराई गई। श्री दिगंबर जैन मंदिरों में सातवें दिन जलाभिषेक हीरालाल पाटनी और राजीव जैन ने किया। जबकि शांति धारा राजेंद्र पाटनी और हरकचंद अजमेरा ने किया।

सातवें दिन हुई उत्तम तप धर्म की पूजा

श्री दिगंबर जैन मंदिरों में सातवें दिन उत्तम तप धर्म की पूजा की गई।आत्म शुद्धि के लिये इच्छाओं का रोकना तप है। मानसिक इच्छायें साँसारिक बाहरी पदार्थों मैं चक्कर लगाया करती हैं। अथवा शरीर के सुख साधनों में केन्द्रिय रहती हैं। अतः शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिये बहिरंग तप किये जाते हैं। मन की वृत्ति आत्म-मुख करने के लिये अन्तरंग तपों का विधान किया गया है। दोनों प्रकार के तप आत्म शुद्धि के अमोध साधन हैं।बहिरंग तप:-शरीर को प्रमाद से दूर रखने के लिये जो बहिरंग तप बताएं गये वे अनशन, ऊनोदर, व्रतपरिसंख्यान, रस परित्याग, विविक्तशयनासन,कायक्लेश है।  अन्तरंग तप:-अन्तरंग तप जिनका प्रभाव मनोनिग्रह के ऊपर पड़ता है छह प्रकार का है। वे प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्ति, स्वाध्याय, व्युत्सर्ग ६ ध्यान है। मीडिया प्रभारी राहुल जैन ने बताया कल उत्तम त्याग धर्म का पूजा क्या जाएगा।

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