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लॉकडाउन के कारण पटना महावीर मंदिर के सामने एफडी तोड़ने की नौबत

पटना: लॉकडाउन ने पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर की आय पर बड़ा असर डाला है. भक्तों से प्राप्त आय के मामले में पूर्वी भारत में मां वैष्णो देवी के बाद दूसरे स्थान पर रहने वाले महावीर मंदिर को पिछले करीब पांच महीने में आठ करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. इस बीच, मंदिर लगातार बंद रहने से न तो नैवेद्यम (लड्डू) की बिक्री हुई और न ही कर्मकांड हवन, कथा पूजन व अन्य गतिविधियां हो सकीं. मंदिर में श्रद्धालुओं से प्रतिदिन करीब पांच लाख रुपये की आय होती है, जो कि मासिक डेढ़ करोड़ रुपये के आसपास है. मंदिर प्रबंधन का कहना है कि अगर मंदिर ऐसे ही एक महीना और बंद रहा, तो महावीर मंदिर की फिक्स डिपॉजिट तोड़ने की नौबत आ सकती है.

प्रतिमाह पांच करोड़ रुपये का देना होता है वेतन

महावीर मंदिर के सौजन्य से शहर में पांच बड़े अस्पताल संचालित होते हैं. इनमें महावीर वात्सल्य अस्पताल, महावीर कैंसर संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर नेत्रालय और महावीर हार्ट हॉस्पिटल शामिल हैं. इन हॉस्पिटलों के स्टाफ को ही प्रतिमाह करीब पांच करोड़ रुपये वेतन के रूप में देने पड़ते हैं. इसके साथ ही महावीर मंदिर के सभी कर्मचारियों व पुजारियों को वेतन दिया जाता है.

महावीर कैंसर संस्थान जुटा रहा सैलरी

लॉकडाउन के दौरान पांच अस्पतालों में महावीर कैंसर संस्थान अभी तक अस्पताल का खर्च निकाल पा रहा है. बाकी अन्य चारों अस्पतालों में स्थिति सही नहीं है. इस वजह से पहले के पैसे खर्च किये जा रहे हैं. फिलहाल महावीर मंदिर प्रतिमाह करीब तीन करोड़ रुपये अन्य अस्पतालों को दे रहा है.

नैवेद्यम की बिक्री 10% भी नहीं

कुछ दिनों से महावीर मंदिर के प्रसिद्ध नैवेद्यम का काउंटर खुल चुका है. ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा भी दी गयी है. लेकिन बिक्री 10% भी नहीं हो पा रही है. मंदिर प्रबंधन का कहना है कि श्रद्धालु जब तक लड्डू को भगवान पर नहीं चढ़ाते, तब तक नहीं खरीदते हैं. इस कारण श्रद्धालुओं की संख्या कम है. काउंटर इसलिए खुला था, ताकि घर में भोग लगाने के लिए नैवेद्यम का इस्तेमाल कर सकें.

क्या कहता है मंदिर प्रबंधन

पिछले पांच महीने से मंदिर बिना आय के स्रोत के सभी अस्पतालों की देखरेख कर रही है. लेकिन अगर ऐसी ही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में डिपॉजिट तोड़ने की नौबत आ सकती है. मंदिर को खुलना चाहिए, जिस तरह से बाकी कार्य हो रहे हैं, सोशल डिस्टैंसिंग का पालन कर नियमित रूप से श्रद्धालुओं को प्रवेश देना चाहिए. मंदिर पूरी तरह से बंद करना सही नहीं है.

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